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29 महीने में सिर्फ चार दिन ड्यूटी : बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति नहीं आते अपने दफ्तर, छात्रों को उठानी पड़ती है परेशानी

29 महीने में सिर्फ चार दिन ड्यूटी : बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति नहीं आते अपने दफ्तर, छात्रों को उठानी पड़ती है परेशानी

MUZAFFARPUR : बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर अपने अतरंगी कारनामों के लिए प्रसिद्ध हैं. वहां ना तो समय से परीक्षा होती है और ना ही परिणाम आते है. बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय अपने ही विद्यार्थीयों के भविष्य का तो जैसे मजाक बना हुआ है, यहां के प्रशासनिक विभाग की स्थिति भी कमोवेश वैसी ही है। यहां के छात्रों के साथ विवि के प्रोफेसर, अधिकारी को कुलपति प्रो. हनुमान प्रसाद पांडे को ढूंढ रहे हैं। परन्तु वे म‍िल नहीं रहे हैं. ये हम नहीं बल्कि वहां पर पढ़ने वाले छात्रों का आरोप है. छात्रों के अनुसार  विश्व विद्यालय के कुलपति 29 महीने के कार्यकाल में महज चार दिन ही अपने दफ्तर में दिखे हैं. 

2020 में संभाली थी जिम्मेदारी

प्रो हनुमान प्रसाद पांडे ने 12 मार्च 2020 को कुलपति का पद पर संभाला था. ज्वाइन करने के बाद लगातार तीन दिनों तक वह कार्यालय आए लेकिन इसके बाद कोरोना को लेकर लॉकडाउन लग गया और विश्वविद्यालय बंद हो गया. लेकिन कोरोना महामारी खत्म होने के बावजूद भी वह विश्वविद्यालय नहीं आ रहे हैं. बीच में केवल एक द‍िन के ल‍िए कार्यालय आए थे. परन्तु उस के बाद से उन्हें विश्व विद्यालय के परिसर में नहीं देखा गया है. छात्र संगठनों ने कुलपति के ना आने पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है. कई छात्र संगठनों ने इस पर कड़ा ऐतराज किया है और विरोध प्रदर्शन भी किया है. 

सिर्फ वित्तिय काम से आते हैं विवि, एकडेमिक काम की चिंता नहीं

राजद नेता छात्र चंदन यादव ने बताया कि कुलपति पहले अपने आवासीय कार्यालय से ही काम करते थे, लेक‍िन पिछले छह महीने से वह वहां भी नहीं हैं. उन्होंने आरोप लगाया क‍ि कुलपत‍ि केवल व‍ित्तीय कार्यों को ही करते हैं, परन्तु एकेडम‍िक कार्यों का निपटारा नहीं कर रहे हैं. इससे विवि में अव्यवस्था फैली हुई है. अख‍िल भारतीय व‍िद्यार्थी पर‍िषद के नेता केशरी नंदन शर्मा ने कहा कि एक साल से कुलपति अपने कार्यालय नहीं आ रहे हैं. इससे छात्रों को काफी समस्‍या हो रही है और छात्रों को  काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

वहीं कुछ छात्रों ने बताया कि जिस विवि में कुलपति का कोई अता पता नहीं है, वहां प्रशासनिक व्यवस्था किस तरह से काम करती होगी, यह समझा जा सकता है। विवि की पूरी व्यवस्था चरमरा गई है। सत्र तो देरी से चल ही रहे हैं, बल्कि उसके साथ प्रशासनिक काम भी मुश्किल से हो पा रहा है।

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