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एनईईटी और जेईई मेन्स को स्थगित नहीं करना, एक बुद्धिमान निर्णय : गौरव त्यागी

एनईईटी और जेईई मेन्स को स्थगित नहीं करना, एक बुद्धिमान निर्णय : गौरव त्यागी

New Delhi : भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के बीच सितंबर में होने वाली राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा एनईईटी और संयुक्त प्रवेश परीक्षा जेईई में देरी करने की मांग को वंचित कर दिया है. एनईईटी और जेईई श्रेष्ठ प्रवेश परीक्षाओं में से एक है, जिससे छात्रों को सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के अवसर मिलते हैं. इन परीक्षाओं को स्थगित नहीं किया जा सकता है क्योंकि पहले से ही परीक्षाएं समय पर आयोजित नहीं की गई हैं, इसलिए इससे संबंधित हर प्रक्रिया में देरी हो रही है. परिणाम से लेकर काउंसिलिंग, दाखिले और कॉलेजों के शुरू होने तक हर प्रक्रिया में देरी होगी. इसलिए परीक्षाओं को सभी निर्देशों और सलाहों का ईमानदारी से पालन करके सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में दिए गए समय पर सुचारू रूप से आयोजित किया जाना चाहिए. ऐसे लाखों छात्र हैं जो एनईईटी और जेईई परीक्षा के लिए सबसे अच्छे सरकारी और निजी कॉलेजों में दाखिला लेना चाहते हैं. 

यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उचित निर्णय लिया गया है कि परीक्षा की तारीख को आगे नहीं बढ़ाया जाए. क्योंकि छात्र इन परीक्षाओं की तैयारी के लिए रुचि और प्रेरणा खो देंगे और अंततः यह उनके परिणामों को प्रभावित करेगा. नए उम्मीदवारों के अलावा, कुछ उम्मीदवार इन परीक्षाओं फिर से बैठेंगे और इस बार बेहतर स्कोर करने के लिए अपनी किस्मत आजमाएंगे. अगर परीक्षाओं को स्थगित कर दिया जाए, तो इससे इन छात्रों में चिंता और तनाव का स्तर बढ़ जाएगा. शिक्षा-वर्ष और छात्रों के भविष्य को यह खतरे में डाल देगा. छात्र कई महीनों से इन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और उनमें से कुछ एक या दो साल से इसकी तैयारी कर रहे हैं. 

इसलिए इन परीक्षाओं को इतने महत्वपूर्ण समय पर स्थगित करना उनकी तैयारियों को अराजकता में डाल देगा. चूंकि स्थगित होने से मेडिकल कॉलेज के अध्ययन में साल भर का अंतर आ जाएगा, इसलिए यह भविष्य की चिकित्सा सेवाओं को भी प्रभावित करेगा. यह राष्ट्रीय हित का मुद्दा बन जाएगा. हम पहले से ही एक महामारी के बीच में हैं और हम सभी अपने डॉक्टरों पर भरोसा कर रहे हैं जो बहुत प्रयास करते हैं और लोगों के जीवन को बचाने के लिए अपने जीवन को जोखिम में डालते हैं. इसलिए, यदि परीक्षाओं को स्थगित कर दिया जाता है, तो शीघ्र ही स्वास्थ्य कर्मियों की संभावित कमी हो सकती है. माता-पिता और छात्रों के लिए यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि कोविड महामारी यहां लंबे समय तक हो सकती है इसीलिए परीक्षा आयोजित किया जाना चाहिए. 

करियर एक्सपर्ट गौरव त्यागी ने कहा की इस साल परीक्षा में बैठनेवाले छात्रों को कम दवाब का सामना करना पड़ेगा. हालाँकि छात्रों को परीक्षा के लिए अधिक समय मिलेगा. यदि वे देरी से आते हैं तो प्रतियोगिता भी बढ़ेगी. इसलिए कई छात्रों के लिए यह फायदेमंद है. यदि परीक्षाएं अनुसूची के अनुसार आयोजित की जाती है तो छात्रों को अनिश्चितता के कारन होनेवाले मानसिक दवाब से छुटकारा मिल जायेगा. सरकार ने यह प्रावधान किया है की उचित निगरानी और दिशा निर्देश के साथ परीक्षा आयोजित किया गया है, जो छात्रों और अभिभावकों के खतरे के का कारण होगा. 


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