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फ्री वाले अस्पताल में हर काम के लिए फीस तय! दिव्यांग महिला का भी बिना नजराना का नहीं हो रहा है इलाज

फ्री वाले अस्पताल में हर काम के लिए फीस तय! दिव्यांग महिला का भी बिना नजराना का नहीं हो रहा है इलाज

BHAGALPUR : बिहार  में सुशासन बाबू की सरकार है । उनका दावा है कि स्वास्थ्य और शिक्षा जीरो टॉलरेंस पर काम कर रही है। जहां अभी सुबे में  महिला आरक्षण को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ है। बिहार की महिलाएं भी सभी क्षेत्र में आगे भी बढ़ रही है।लेकिन भागलपुर जिले के जगदीशपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से  एक मामला प्रकाश में आया है जिसमें एक दिव्यांग महिला अपनी व्यथा सुनाते हुए बताई की  अस्पताल व्यवस्था से इलाज की भीख मांग रही। लेकिन यहां सबको  दर-दर भटकना पड़ रहा है। 

गरीबी और शारीरिक रूप से अक्षम  होने के कारण जगदीशपुर स्वास्थ्य केंद्र इलाज के लिए जाती है, लेकिन पैसा उनके पास नहीं होने के कारण बिना इलाज का लौटना पड रहा है। अस्पताल की व्यवस्था भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है अस्पताल की गेट के अंदर घुसने के बाद जगह-जगह  पीड़िता को नजराना की मांग की जा रही है। जहां एक तरफ स्वस्थ्य मंत्री स्वस्थ्य विभाग की दशा और दिशा बदलने में लगे रहते हैं। 

रजिस्ट्रेशन के लिए एक की जगह पांच रुपए

दूसरी तरफ उनके ही विभाग के अधिकारियो और कर्मियों पर कोई खासा असर नहीं दीखता हैं। पीड़िता  रूबी देवी नेबताया कि रजिस्ट्रशन करवाने के नाम पर 1 रुपये की जगह  5 रुपये लिया जाता हैं. दूसरी तरफ प्रशव कक्ष में बिना एक हजार रुपये लिए बिना हाथ तक नहीं लगाई जाती हैं। 

कहता है मायागंज अस्पताल रेफर कर देंगे। प्रसव के बाद फोटो खिचवाने में तोह 30 रुपये का फीस हैं।अमूमन मानो तो सभी कार्य यहां फीस पर निर्धारित हैं।मानो  इस सरकारी अस्पताल की फीस प्राइवेट अस्पताल जैसी है इलाज सरकारी अस्पताल जैसा। 

फीस के बगैर नब्ज भी नहीं पकड़ते

यहां मरीजों का लगातार  सरकारी हॉस्पिटल में आर्थिक शोषण होने की बात पीड़ित महिला रूबी देवी पति नितीश कुमार और सोनी देवी ग्राम तगोपुर वाशी  अपने जुबानी बताती हैं कि यहां बिना पैसे लिए तो मरीज का नब्ज तक नहीं पकड़ते हैं। 

जगदीशपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी बी बी मंडल से इस बात की जानकारी ली तोह वह इस बात से अनभिज्ञ  होने की बात कही । कहा अगर मरीज  लिखित शिकायत करती हैं। 

आवेदन के आलोक में जांच कर दोषी कर्मियों पर कार्यवाही की जाएगी। अब देखना होगा कि स्वास्थ्य विभाग की पदाधिकारी इस मामले में क्या संज्ञान लेते हैं।

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