PATNA : बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन जैसा कि उम्मीद की जा रही थी, उसकी शुरूआत कमोवेश वैसी ही रही। यहां शराबबंदी, खाद की कालाबाजारी और हाल में आए नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार को फिसड्डी बताए जाने को लेकर माले विधायकों ने सदन के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। माले विधायकों ने कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है।
विरोध कर कर रहे माले विधायकों ने कहा कि किसानों को खेती के लिए यह समय सबसे बेहतर होता है,लेकिन चिंता की बात यह है कि बिहार में किसानों को न तो पोटाश की उपलब्धता सुनिश्चित हो पा रही है और न ही डीएपी उपलब्ध हो पा रहा है। किसान ब्लैक से इसे खरीदने के लिए मजबूर है।
शराब सेवन से मारे गए मजदूरों के परिवार को मिले मुआवजा
माले विधायकों ने शराबबंदी कानून को लेकर सरकार को घेरते हुए कहा कि यहां यह कानून पूरी तरह से फेल हो चुका है। खुलेआम शराब की बिक्री की जा रही है। लोग शराब का सेवन कर मर रहे हैं। इस दौरान विधायकों ने मांग की है कि जहरीली शराब के सेवन से जिन लोगों की मौत हुई है, उनके परिवारों को सरकार मुआवजा दे।
नीति आयोग के सुझावों को मानें
इस दौरान माले विधायकों ने हाल में जारी नीती आयोग की रिपोर्ट को लेकर भी राज्य सरकार के काम पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि बिहार में विकास के काम की पूरी पोल रिपोर्ट से खुल गई है। जरुरत है कि आज बिहार में सुधार को लेकर नीति आयोग की तरफ से जो सुझाव दिए गए हैं, उसका पालन किया जाए।