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नेताओं के लिए नीति सिद्धांत जाए भांड़ में ! नीतीश,चिराग के साथ सम्राट ने खाई कई कसमें, लेकिन कुर्सी के मोह में सबने दिया कसमों को धोखा.....इतिहास बहुत कुछ कहता है...

नेताओं के लिए नीति सिद्धांत जाए भांड़ में ! नीतीश,चिराग के साथ सम्राट ने खाई कई कसमें, लेकिन कुर्सी के मोह में सबने दिया कसमों को धोखा.....इतिहास बहुत कुछ कहता है...

PATNA: कहते है जिंदगी में वादें होते ही हैं टूटने के लिए... आम जन जीवन के साथ साथ अब बिहार की राजनीति में भी ये वाक्य चरितार्थ हो रही है। बिहार के कई बड़े नेता भी बड़े बड़े वादे तो करते हैं लेकिन कुर्सी की मोह में ऐसे बंध जाते हैं कि वो अपने तमाम वादों को भूल जाते हैं। सत्ता के लिए नेताओं के लिए उनकी नीति कोई मायने नहीं रखती है। ये नेता अपने वादों को तोड़ने में थोड़ा भी समय नहीं लगाते और अपनी ही बातों से मुकर जाते हैं। इस रेस में तो सबसे आगे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी हैं। वहीं लोजपा(रा) के चीफ चिराग पासवान भी अब इस रेस में पीछे नहीं है, एक वक्त था जब चिराग कसमें खाते थे कि चाहे कुछ भी हो जाए उन्हें सीएम नीतीश की नेतृत्व स्वीकार नहीं होगी। वहीं चिराग आज 2025 की बिहार विधानसभा चुनाव सीएम नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान करते हैं। वहीं उपेंद्र कुशवाहा भी आज अपनी कसम भूल सीएम नीतीश के साथ हैं।

अपने ही वादे से पलट जाते हैं नेता

आइए अब उस दौर की बात करते हैं जब जब इन नेताओं ने वादे किए और फिर अपने वादों से मुकर गए। वादा खिलाफी करने में सबसे आगे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। नीतीश कुमार जब महागठबंधन में होते हैं तो वो कसमें खाते हैं कि वो कभी भाजपा के साथ नहीं जाएंगे। वहीं जब सीएम नीतीश भाजपा के साथ होते हैं तो कहते हैं कि वो कभी महागठबंधन के साथ कभी नहीं जाएंगे। सीएम नीतीश 2014 में नरेंद्र मोदी के पीएम उम्मीदवार बनने के बाद और 2022 में भी भाजपा से अलग होकर राजद के साथ सरकार बनाई। जब 2014 में सीएम नीतीश भाजपा से अलग हुए तो उन्होंने कहा कि भाजपा ने उनके साथ धोखा किया है उनका भरोसा तोड़ा है, उन्होंने कहा कि चुनाव में बीजेपी की दुर्गति होगी। वहीं भरे मंच से नीतीश कुमार ने ये भी कहा कि, वे मर जाएंगे लेकिन भाजपा में नहीं जाएंगे। 

अपने वादे से मुकरे सीएम नीतीश

सीएम नीतीश ने 2024 में भाजपा को केंद्र सरकार से हटाने के लिए तमाम कोशिशें की। उन्होंने सभी विपक्षी दल को एकजुट किया। उनकी ये सफल भी हुई लेकिन तब तक सीएम नीतीश अपने सभी कसमें वादे को भूलकर बिहार में बीजेपी के साथ सरकार बना ली थी। सीएम नीतीश महागठबंधन के साथ नाता तोड़ अब नई कसम खा रहे हैं। सीएम नीतीश का कहना है कि वो दो बार गड़बड़ा गए थे। लेकिन अब वो अपने सही जगह पर आ गए हैं, और अब वो यहीं(बीजेपी में) रहेंगे। हालांकि सीएम नीतीश कब तब अपनी बातों पर टीके रहते हैं ये तो कोई नहीं बता सकता है। मालूम हो कि सीएम नीतीश अक्सर अपनी बातों से मुकरते आएं है और यही वजह है कि विपक्ष में उन्हें पलटू राम भी कहा जाता है।  

सम्राट चौधरी ने अधूरा छोड़ा अपना प्रण

वहीं दूसरे नंबर पर हैं बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी- सम्राट चौधरी ने आज से 22 महीने पहले सितंबर में अपनी माँ के निधन के दौरान कसम खाई थी कि वो अपना मुरेठा तब उतारेंगे जब वो सीएम नीतीश को कुर्सी से हटा देंगे। वहीं हाल में अयोध्या में जाकर सम्राट चौधरी ने अपना मुरेठा खोल दिया है। सम्राट चौधरी अपने प्रण को अधूरा छोड़ अपनी पगड़ी उतार दी। जिसको लेकर विपक्ष ने उन पर कड़े प्रहार भी किए। दरअसल, जब सम्राट चौधरी ने ये कसम खाई थी तब वो महागठबंधन के साथ सरकार में थे। वहीं 28 जनवरी को सीएम नीतीश ने महागठबंधन से इस्तीफा देकर एनडीए के साथ सरकार बनाई, उस वक्त सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा बीजेपी की ओर से डिप्टी सीएम बने। तब सम्राट चौधरी ने ऐलान कर दिया कि वो अयोध्या में जाकर अपनी पगड़ी रामलला की चरणों में अर्पित करेंगे। वहीं 3 जुलाई को सम्राट ने अयोध्या में सरयु नदी में स्नान करने के बाद अपने मुरेठा को खोल दिया। सम्राट के मुरेठा खोलने के बाद जमकर सियासी बयानबाजी हुई। तब सम्राट चौधरी ने ये बयान दिया कि सीएम नीतीश ने महागठबंधन के सीएम के रुप में इस्तीफा देने के बाद एनडीए के नेतृत्व शपथ ली है जिससे उनकी प्रण पूरी हो गई है।

चिराग पासवान भूल गए अपनी कसम

तीसरे नेता की बात करें तो वो हैं लोजपा (रा) के चीफ चिराग पासवान- चिराग पासवान ने कहा था कि उन्हें नीतीश कुमार की नेतृत्व स्वीकार नहीं है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान एनडीए से अलग हो गए। तब  उन्होंने कहा था कि सीएम नीतीश ने उनके पिता का अपमान किया था। अपने पिता का अपमान कोई पुत्र नहीं सह सकता है इसलिए वो नीतीश कुमार का नेतृत्व कभी स्वीकार नहीं करेंगे। चिराग पासवान ने तब अकेले चुनाव लड़ा था। वहीं इसका घटा सीएम नीतीश को ये हुआ कि उनकी पार्टी बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई। वहीं अब वर्तमान में सीएम नीतीश और चिराग पासवान एनडीए में शामिल हैं। लोकसभा चुनाव के बाद चिराग पासवान सीएम नीतीश के साथ कई दफे मुलाकात भी कर चुके हैं। बीते दिन भी चिराग पासवान ने सीएम नीतीश से मुलाकात की। तब सीएम ने चिराग से कहते हुए दिखे कि कैसे वो उनके पिता रामविलास पासवान से मिलने जाते थे तो उनके माँ और पापा उनको मानते थे। वहीं चिराग पासवान ने भी अब 2025 में सीएम नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।

कुर्सी के आगे वादों के मायने नहीं

गौरतलब हो कि इन नेताओं के टूटते वादों को देख ये साफ है कि राजनीति में वादों और कसमों का कोई मायने नहीं है। राजनीति अब अवसर और कुर्सी पर निर्भर करती है। नेताओं की ना तो अब कोई नीति है और ना ही कोई सिद्धांत बचा है। कुर्सी के लिए नेता कोई भी कसम खा लेते हैं और फिर उसे अपने हिसाब से तोड़ भी देते हैं। यह केवल बिहार की ही नहीं पूरे देश के राजनीति का हाल है। नेताओं का वादा खिलाफी अपने फायदे के अनुसार होता है।     

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