बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

गणेशोत्सव की शुभकामनाएं: देशभर में आज से गूंजेगा ‘गणपति बप्पा मोरया’, इस साल नहीं है भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त

गणेशोत्सव की शुभकामनाएं: देशभर में आज से गूंजेगा ‘गणपति बप्पा मोरया’, इस साल नहीं है भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त

N4N DESK: देशभर में आज का दिन बेहद खास है, कारण आज विघ्नहर्ता गणेश घर-घर विराजेंगे। पूरा देश गणपति बप्पा मोरिया के जयकारे से गुंजायमान रहेगा। करीब 10 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में आज, यानी कि 10 सितंबर को भगवान गणेश की स्थापना की जाएगी और 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन किया जाएगा।

पुराणों के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को दोपहर के वक्त हुआ था। उनके धरती पर आगमन को लेकर गणेश चतुर्थी की मान्यता है और विशेष रूप से महाराष्ट्र में यह पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस बार गणेश चतुर्थी पर भद्रा का साया नहीं है, यानी कि इस बार भक्तों को विशेष रूप से मुहूर्त मुहूर्त के लिए अधिक इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

स्थापना और पूजन का शुभ मुहूर्त

वैसे तो इस साल गणेशोत्सव पर भद्रा का साया नहीं है, लेकिन शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो सुबह 6.10 से 10.40 तक (चर, लाभ और अमृत) मुहूर्त हैं। वहीं दोपहर में 12.25 से 1.50 तक (शुभ) मुहूर्त और शाम 05 से 6.30 तक (चर) मुहूर्त में विघ्नहर्ता की मूर्ति स्थापना सहित पूजा की जा सकती है।

गजानन की मूर्ति में सूंड का है खास महत्व

जिस मूर्ति में गणेशजी की सूंड दाईं ओर हो, उसे सिद्धिविनायक स्वरूप माना जाता है। जबकि बाईं तरफ सूंड वाले गणेश को विघ्नविनाशक कहते हैं। सिद्धिविनायक को घर में स्थापित करने की परंपरा है और विघ्नविनाशक घर के बाहर द्वार पर स्थापित किए जाते हैं। ताकि घर में किसी तरह का विघ्न यानी परेशानियों का प्रवेश न हो सके। व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लिए बाईं ओर मुड़ी हूई सूंड वाले और घर के लिए दाईं सूंड वाले गणपति जी को श्रेष्ठ माना जाता है।

भगवान को अर्पित करने वाले भोग-प्रसाद

गणेश जी को पूजन करते समय दूब, घास, गन्ना और बूंदी के लड्डू अर्पित करने चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। कहते हैं कि गणपति जी को तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। मान्यता है कि तुलसी ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था, इससे नाराज होकर गणपति ने उन्हें श्राप दे दिया था। लड्डू का ही एक अन्य स्वरूप, मोदक, इस दिन विशेष रूप से भगवान के लिए ही बनाया और इन्हें अर्पित किया जाता है। 

Suggested News