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बिहार में स्वास्थ्य सेवाएं फिर से अधर में, सरकार नहीं मानी तो मरीजों को अगले कई दिनों तक हो सकती है बड़ी परेशानी

बिहार में स्वास्थ्य सेवाएं फिर से अधर में, सरकार नहीं मानी तो मरीजों को अगले कई दिनों तक हो सकती है बड़ी परेशानी

पटना. बिहार के सभी प्रमुख सरकारी अस्पतालों में सोमवार से चिकित्सा सेवाएं बाधित हो सकती हैं. राज्य के नौ सरकारी मेडिकल कालेजों के जूनियर डाक्टर और एमबीबीएस इंटर्न ने सोमवार से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार की घोषणा की है. अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल की घोषणा करने वाले जूनियर डाक्टर अगर सेवा से दूर रहते हैं तो इससे मरीजों को भारी परेशानी हो सकती है. उन्होंने ओपीडी के साथ इमरजेंसी और सर्जरी में भी योगदान नहीं देने की बात कही है. 

हड़ताल करने वाले जूनियर डाक्टर और एमबीबीएस इंटर्न की मुख्य रूप से पांच मांगें हैं. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान घोषित प्रोत्साहन राशि जूनियर डाक्टरों व इंटर्न को भुगतान करना. इंटर्न छात्रों के स्टाइपेंड जिसे जनवरी 2020 में पुनरीक्षित किया जाना है था, उसे तुरंत 15 से बढ़ाकर 24 हजार करना. एमडी-एमएस डिप्लोमा करने वाले छात्रों का यदि हायर कोर्स में नामांकन होता है तो उन्हें सरकारी अस्पताल में एक साल काम करने के बांड से मुक्त किया जाए या स्टडी लीव दी जाए. साथ ही बांड के तहत सभी को समान पद पर पदस्थापित किया जाए. इसी तरह नीट पीजी काउंसलिंग जल्द हो जिसके लिए बिहार सरकार, केंद्र से बात करे. अंतिम मांग नीट पीजी में देरी से उत्पन्न डाक्टरों की कमी दूर करने के लिए नन एकेडमिक जूनियर रेजिडेंट की बहाली की जाए.

बिहार जूनियर डाक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. कुंदन सुमन के अनुसार स्वास्थ्य विभाग और सभी कालेजों के प्राचार्य व अधीक्षकों को सात दिन पूर्व ही इस कार्य बहिष्कार की सूचना दी जा चुकी है.


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