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यहां लोग भगवान को बनाते हैं बिजनेस पार्टनर, मंदिर में हर माह चढ़ता है करोड़ों रूपये का चढ़ावा

यहां लोग भगवान को बनाते हैं बिजनेस पार्टनर, मंदिर में हर माह चढ़ता है करोड़ों रूपये का चढ़ावा

N4N DESK : अब तक आपने किसी व्यक्ति को किसी के साथ कारोबार में पार्टनर रखते सुना होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं की अपने ही देश भारत में लोग भगवान को ही अपने कारोबार में पार्टनर बनाते हैं. हम बात कर रहे हैं राजस्थान के चितौरगढ़ के कृष्णधाम मण्डफिया स्थित सावरा सेठ की. सावरा सेठ को श्रद्धालु अपना पार्टनर बनाकर कारोबार करते हैं. जिससे प्रति माह मंदिर में करोड़ों रूपये का चढ़ावा आता है. 

हम आपको बताते है की सावरा सेठ पर लोग इतना विश्वास कैसे करते हैं की अपने बिजनेस में उनको पार्टनर बनाते है. लोगों को मानना है की सावरा सेठ को पार्टनर बनाने से उन्हें काफी मुनाफा होता है. जिससे होने वाले मुनाफे में से वे सावरा सेठ का हिस्सा वे मंदिर में चढ़ावे के रूप में देते हैं. बताया जाता है की एक बार जब औरंगजेब की सेना मंदिरों को तोड़ रही थी. उसी दौरान उन्हें औरंगजेब को इस मंदिर के बारे में पता चला. लेकिन इलाके के रहनेवाले संत दयाराम ने चार मूर्तियों को बचाने के लिए उन्हें बागुंड-भादसौड़ा की छापर में एक बरगद के पेड़ के नीचे गड्ढा खोदकर छिपा दिया. इसके कई सालों के बाद दयाराम का देहावसान हो गया. बाद में मण्डफिया के एक ग्वाले भोलाराम गुर्जर को सपना आया की बरगद के पेड़ के निचे मूर्तियों को छिपा कर रखा गया है. उसके सपने पर विश्वास करके लोगों ने जब उस जगह की खुदाई की तो चारों मूर्तियों को सुरक्षित पाया गया. एक मूर्ति को स्थापित कर उदयपुर मेवाड़ राज-परिवार के भींडर ठिकाने की ओर से सांवलिया जी का मंदिर बनवाया गया। बाद में इस मंदिर की ख्याति बढती गयी. 

लोग अपने बिजनेस में सांवलिया जी को पार्टनर बनाने लगे. जिससे यहां करोड़ों की कमाई होने लगी. लोगों का कहना है की आज से छः दशक पहले तक यहां छोटा से मंदिर हुआ करता था. जहाँ औसतन प्रतिमाह दो से ढाई सौ रूपए निकलते थे. लेकिन ख्याति बढ़ने के साथ अब यहां करोड़ों रूपये निकल रहे हैं. जिससे मंदिर को गुजरात के अक्षरधाम की तर्ज पर बनाकर तैयार किया गया है. इस मंदिर की व्यवस्था के लिये मंदिर मंडल का गठन किया हुआ है, जिसमें प्रशासनिक अधिकारी के रूप में स्थाई रूप से अतिरिक्त कलक्टर को प्रभार दिया हुआ है. मंदिर मंडल के विधान के अनुसार मंदिर क्षेत्र के 16 गावों में चढावे के रूप में प्राप्त धनराशि का जनहित में उपयोग करने की व्यवस्था है. 

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