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बिहार के कर्तव्यनिष्ठ-सत्यनिष्ठ रिटायर्ड IAS अधिकारी मनोज श्रीवास्तव अब हमारे बीच नहीं रहे,IAS एसोसिएशन ने मृतात्मा की चिर शान्ति के लिए की प्रार्थना

बिहार के कर्तव्यनिष्ठ-सत्यनिष्ठ रिटायर्ड IAS अधिकारी मनोज श्रीवास्तव अब हमारे बीच नहीं रहे,IAS एसोसिएशन ने मृतात्मा की चिर शान्ति के लिए की प्रार्थना

PATNA: भारतीय प्रशासनिक सेवा के कर्तव्यनिष्ठ-सत्यनिष्ठ अधिकारी मनोज श्रीवास्तव अब हमारे बीच नहीं रहे।रिटायर्ड आईएएस अधिकारी का आज निधन हो गया ।उनके निधन से बिहार में शोक की लहर दौड़ गई।बिहार के आईएएस संघ ने उनके निधन पर गहरी शोक-संवेदना जताई है।एसोसिएशन ने कहा है कि हमलोगों ने अपने एक वरिष्ठ अनुभवी साथी को खो दिया है। राज्य के विभिन्न जिलों तथा विभागों में, जहां भी उनकी पदस्थापना रही, उनके साथ काम कर चुका हरेक अधिकारी/कर्मचारी आज अपने आपको विकल महसूस कर रहा है.यह उनकी मानवीयता तथा संवेदनशीलता का स्पष्ट प्रमाण है। उन्होंने राज्य-हित को हमेशा शीर्ष पर रखा और कर्तव्यों के निर्वाहन में जी-जान से लगे रहे।

 उन्होंने देश के शीर्ष विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र का गंभीर अध्ययन किया था और विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षण-केन्द्रों से उन्होंने सामाजिक परिवर्तन, गरीबी, वंचितों के आर्थिक उन्ननयन से संबंधित शोध-कार्य किए जो विभिन्न प्रतिष्ठत शोध-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। आर्थिक, शैक्षणिक विकास के विभिन्न माॅडलों पर उनका शोध अत्यन्त गंभीर था और उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय विरादरी में भी गंभीता से सुना जाता था। शिक्षा विभाग एवं पंचायती राज विभाग में पदस्थापन के दिनों में जो उनकी सूझ सामने आई, उसने राज्य के आगामी विकास में प्रभावी भूमिका निभाई। जिन जिलों में भी वे पदस्थापित रहे, उनका विद्धतापूर्ण संवेदनात्मक पक्ष हमेशा चर्चा में रहा। उनके निधन से हमने अपने बीच के एक गौरवशाली वरिष्ठ साथी को खो दिया है, जिसकी क्षतिपूर्ति कभी संभव नहीं होगी। 

मनोज श्रीवास्तव उन विरले अधिकारियों में थे, जिन्हें अधिकार से अधिक कर्तव्य की परवाह थी। जितना वे अपनी प्रशासनिक कुशलता के लिए याद किए जाते रहे, उससे कहीं अधिक अपने जन सरोकारों के लिए। वे जहां भी, जिस भी पद पर रहे, लोकहित उनकी प्राथमिकता में रहा। समाज के विभिन्न वर्गों के बीच उन्हें हमेशा आत्मियता से याद किया जाता रहा। साहित्यकार हो, शिक्षाविद हो, पत्रकार हो, सामान्य किसान या श्रमिक सबों के बीच उनकी पहचान घुलमिल सी जाती थी। आश्चर्य नहीं कि आज सोशल मीडिया पर उन्हें नाटक के लिए भी याद किया जा रहा है, तो शोध के लिए भी, पत्रकारिता से उनके सरोकारों के लिए भी। 

1980 में देश की सर्वोच्च सेवा भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में वरियता क्रम में तीसरा स्थान पाने के बाद अपने गृह राज्य बिहार की सेवा में ये अहर्निश लगे रहे। केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार में सचिव के पद पर रहते हुए अपने सेवा काल में जनोन्मुखी योजनाओं और उसके बेहतर क्रियान्यवन के लिए सरकार के साथ आमजनों के बीच भी ये लोकप्रिय बने रहे। अपने 35 साल की सेवा में भोजपुर के जिलाधिकारी के रूप में उन 550 जिलाधिकारियों में ये शामिल थे, जिनका चयन प्रधानमंत्री के साथ होने वाली कार्यशाला हेतु किया गया। 1985 में योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में मनमोहन सिंह ने समेकित ग्रामीण विकास की योजना में इनके योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की थी। 

बिहार में यूनिसेफ के साथ बिहार शिक्षा परियोजना की परिकल्पना को वास्तविक धरातल पर साकार करने का श्रेय इन्हें ही जाता है। बिहार शिक्षा परियोजना से विभिन्न सामाजिक स्वैच्छिक संस्थाओं, साहित्यकारों, शिक्षाविदों को जोड़ कर इन्होंने राज्य में शिक्षा की चिंता में आमजन की भागीदारी बढ़ाने मेें अद्भुत सफलता प्राप्त की। कामफेड के प्रबंध निदेशक के रुप में सुधा को बिहार ब्रांड के रुप में स्थापित कर लाखों ग्रामीणों के जीवन यापन की सूरत बदल दी। अपने दीर्घ सेवाकाल में जिस भी पद पर रहे, आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव के रुप में 2007 के भीषण बाढ़ का जिस कुशलता और मानवीयता के साथ मुकाबला किया वह अद्वितीय माना जाता है। आपने अपनी प्रशासनिक कुशलता कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ काम करते हुए भी दिखायी। 

मनोज श्रीवास्तव में सीखने की भूख थी, जो आजीवन उनके साथ बनी रही। अपने ज्ञान की भूख को उन्होंने कभी मिटने नहीं दिया जवाहरलाल नेहरू विश्व विद्यालय से समाजशास्त्र में मास्टर्स कर आप प्रशासनिक सेवा में आ गए, लेकिन अध्ययन का साथ बना रहा। आश्चर्य नहीं कि देश और विदेश के अनेकों फेलोशिप प्रोग्रामों से वे सफलता पूर्वक जुड़े रहे। 2009 में वे पहले व्यक्ति थे जिन्हें जमशेदजी टाटा फेलोशिप मिली थी, जिसके अंतर्गत लंदन स्कूल आफ इकोनोमिक्स से प्रो पूअर गवर्नेस इन इंडिया पर अपना शोध पूरा किया। 2002 में इंग्लैंड के क्राइसिस रिसर्च सेंटर में रिसर्च फेलों के रूप में इनका चयन किया गया। विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में 100 से भी अधिक पेपर लिखने का श्रेय आपके अध्ययन और अनुभव को दिया जा सकता है, जिसने अकादमिक जगत को एक नई रोशनी दी। आपकी पुस्तक “सीइंग द स्टेट-गवर्नेंस एंड गवर्नमेंटलिटि इन इंडिया” प्रशासनिक क्षेत्र में आज भी किसी टेक्स्ट बुक की तरह स्वीकार की जाती है.

आई०ए०एस० एसोसिएशन उन्हें खोकर गहरे दुःख में है तथा मृतात्मा की चिर शान्ति तथा उनके परिवारजनों एवं आत्मीयजनों के धैर्य-धारण के लिए विनम्र प्रार्थना करता है।

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