बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

राजनीतिक लड़ाई और कोर्ट केस लंबा चला तो इस साल टल सकता है नगर निकाय चुनाव, प्रत्याशियों को करना होगा इंतजार

राजनीतिक लड़ाई और कोर्ट केस लंबा चला तो इस साल टल सकता है नगर निकाय चुनाव, प्रत्याशियों को करना होगा इंतजार

 PATNA : हाईकोर्ट द्वारा निकाय चुनाव पर रोक लगाने के फैसले के बाद अब सवाल यह है कि अब यह चुनाव कब होगा। जो मौजूदा स्थिति है, उसमें इस बात की संभावना काफी कम लग रही है कि 2022 में चुनाव होना काफी मुश्किल है। वहीं राज्य सरकार ने भी फैसला लिया है कि वह हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। ऐसे में राज्य में नगर निकाय चुनाव टल जाने के बाद प्रशासकों का कार्यकाल और लंबा होना तय है। 

जून में पूरा हुआ था कार्यकाल

राज्य के 240 से अधिक शहरी निकायों के निर्वाचित बोर्ड के पांच साल का कार्यकाल इस साल जून में ही पूरा हो गया था। इस बीच चुनाव न होने से शहरी निकायों में कई कार्य प्रभावित हो रहे थे। इसको देखते हुए राज्य सरकार ने निकाय चुनाव तक नगर निकाय प्रशासन की शक्तियां प्रशासकों को दे दी।

लंबी खिंचेगी प्रशासकों की जिम्मेदारी

अक्टूबर में चुनाव की घोषणा के बाद उम्मीद थी कि प्रशासकों की जिम्मेदारी इसी माह खत्म हो जाएगी मगर अब चुनाव टल जाने से यह काम लंबा खींचेगा। पटना, बिहारशरीफ, आरा, रोहतास, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मोतिहारी, बेतिया, मुंगेर, गया, पूर्णिया, कटिहार, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, बेगूसराय, भागलपुर, सहरसा में नगर आयुक्त प्रशासक की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

बढ़ जाएगा प्रशासकों का कार्यकाल

नगर निकाय चुनाव में देर के कारण इसी साल जुलाई में राज्य सरकार ने 247 शहरी निकायों की कमान प्रशासकों के हाथों में सौंप दी थी। नगर निगम में नगर आयुक्त को जबकि शेष 229 नगर परिषद व नगर पंचायतों में कार्यपालक पदाधिकारियों को प्रशासक नियुक्त किया गया है। इसके बाद से ही प्रशासक इन शहरी निकायों की कमान संभाल रहे हैं। नियमानुसार, एक बार में छह माह तक ही प्रशासकों को जिम्मेदारी दी जा सकती है। ऐसे में अधिकतम जनवरी, 2023 तक ही नियुक्त प्रशासक मान्य हैं। इस अवधि में निर्वाचन कराना अनिवार्य है। अगर इसके बाद भी नगर निकाय चुनाव नहीं होते हैं, तो प्रशासक का कार्यकाल बढ़ाना पड़ सकता है। 

करोड़ों रुपये खर्च कर चुके हैं प्रत्याशी

नामांकन के पहले से लेकर अब तक चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी करोड़ों रुपये प्रचार में खर्च कर चुके हैं। इसमें सभी तरह के खर्च शामिल हैं। खासकर आपसी सौदेबाजी के तहत निर्विरोध चुनाव जीत चुके विजेताओं के लिए झटका है। दोनों चरण में मिलाकर करीब सौ प्रत्याशी निर्विरोध चुनाव जीत चुके थे। चुनाव स्थगित होने से इन प्रत्याशियों को सबसे बड़ा झटका लगा है।

Suggested News