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सावन का उल्लास, मेहंदी से लेकर बेलपत्र तक का जानिए महत्व

सावन का उल्लास, मेहंदी से लेकर बेलपत्र तक का जानिए महत्व

सावन का महीना विवाहिता और अविवाहिता दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. सावन के महीने में शिव की अराधना की जाती है. विवाहिता अपने पति के लिए व्रत रखती है बिल्कुल उसी तरह जिस तरह पार्वती ने अपने पति शिव के लिए रखा था. अविवाहिता शिव जैसा स्वामी पाने के लिए ये व्रत रखती है. कुछ पुरे सावन व्रत रखती तो कोई सोमवार को. 

सोमवार की भी अपने एक कहानी है. पार्वती ने शिव के लिए 16 सोमवार का व्रत किया था. शिव को बेलपत्र बहुत प्रिय है और उनको पूजा भी उसी से जाता है. शिव पर बेलपत्र अर्पित करने से शिव प्रसन्न होते है. बेलपत्र के बिना शिव की पूजा अधूरी होती है, बेलपत्र के बिना  अधूरी होती है. ध्यान रही कि बेलपत्र में तीन पत्तियां होनी चाहिए। 

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मेहंदी को सुहाग की निशानी मानी जाती है और मान्यता है की जितना मेहंदी का रंग आता है उतना ही पति-पत्नी के बीच रिश्ते अच्छे रहते है और वैवाहिक जीवन सुख से बीतता है. सावन के महीने में महिलाएं और लड़कियां मेहंदी लगाती हैं.

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सावन में हरे रंग का बहुत महत्त्व होता है, हरा रंग सुहाग की निशानी होती है सावन के महीने में सुहागन स्त्रियों के लिए कई त्योहार आते हैं जिनमें कज्जली तीज, हरियाली तीज शामिल हैं। इन त्योहारों में हरे वस्त्र, हरी चूड़ियां और मेंहदी लगाने के नियम हैं. इसका कारण यह है कि सावन के महीने में हरे रंग का वस्त्र धारण करने से सौभाग्य में वृद्घि होती है और पति-पत्नी के बीच स्नेह बढ़ता है.

सावन का महीना शुरू होने के साथ ही मंदिरों में हिंडोले गढने यानी भगवान के झूले पर विराजने और भक्तों द्वारा उन्हें झुलाने की परम्परा चली आ रही है। इस मौके पर मंदिरों में या सामाजिक तौर पर होने वाले संकीर्तनों में झूले के गीत ही प्रमुखता से गाए जाते हैं.

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