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राजभवन के प्रधान सचिव के खिलाफ भयंकर गुस्से में गुस्से में केके पाठक, पूछा - किस अधिकार से विश्वविद्यालय के अधिकारियों को बैठक में आने से रोका

राजभवन के प्रधान सचिव के खिलाफ भयंकर गुस्से में गुस्से में केके पाठक, पूछा - किस अधिकार से विश्वविद्यालय के अधिकारियों को बैठक में आने से रोका

PATNA: बिहार के विश्वविद्यालयों को लेकर शिक्षा विभाग के एससीएस केके पाठक और राजभवन के एक बार फिर ठन गई है। इस बार केके पाठक न सिर्फ बेहद गुस्से में नजर आ रहे हैं. बल्कि राजभवन के प्रधान सचिव को अधिकार क्षेत्र के बारे में भी बताया है। 

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने शुक्रवार को राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर के प्रधान सचिव राबर्ट एल. चोंग्थू को संबोधित करते हुए कहा है कि कुलाधिपति को विभागीय मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा है कि कुलाधिपति के पास शिक्षा विभाग को निर्देश देने का अधिकार नहीं है। इस दौरान केके पाठक ने राजभवन पर विवि के अधिकारियों का आरोप भी लगा दिया है। 

किस अधिकार से रोका बैठक में आने से

मुख्य सचिव केके पाठक ने अपने पत्र के माध्यम राज्यपाल के प्रधान सचिव से पूछा है कि 29 फरवरी को आपने स्वीकार किया है कि कुलाधपति ने कुलपतियों को शिक्षा विभाग की ओर से बुलायी गयी बैठक में शामिल होने की अनुमति नहीं दी है। इसमें आप बताएं कि किस नियम के तहत कुलपति को किसी बैठक में भाग लेने के लिए कुलाधिपति की अनुमति की जरूरत है तथा किस नियम से कुलाधिपति इस पर रोक लगाते हैं?

पत्र में यह भी राबर्ट एल. चोंग्थू से कहा है कि आपने सेक्शन-9 का उदाहरण दिया है कि कुलाधिपति को विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक और प्रशासनिक सुधार को लेकर निर्देश देने का अधिकार है। केके पाठक ने पत्र में लिखा है कि यह धारा कुलपति को विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों के बीच विद्रोही व्यवहार को भड़काने और पूर्ण अराजकता की स्थिति पैदा करने की अनुमति नहीं देता है. उन्होंने कहा है कि इस शक्ति के तहत कुलाधिपति विश्वविद्यालय के अधिकारियों को विभाग की अवहेलना करने के लिए कह कर अपने अधिकार से आगे नहीं बढ़ सकते हैं.

 राज्यपाल के प्रधान सचिव को लिखे पत्र में केके पाठक ने कहा है कि यदि अधिकारियों को बैठक में आने से रोकने का  निर्देश राज्यपाल की ओर से है तो मुझे यह बताने के अलावा कुछ नहीं कहना है कि कुलाधिपति की कुर्सी उच्च संवैधानिक स्थिति होती है. इसलिए उपयुक्त होगा कि आप मुख्यमंत्री या फिर मंत्री से संवाद करते. यदि आप कुलाधिपति की ओर से निर्देश दे रहे हैं, तो शिक्षा विभाग को उनके हस्तक्षेप पर गंभीर आपत्ति है।पत्र के अंत में सलाह दी कि आप विभाग के मामलों में हस्तक्षेप करने से बचें.


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