DESK : पंजाब में लोकसभा चुनाव को लेकर चारों प्रमुख पार्टियों शिरोमणी अकाली दल, भाजपा के बीच गठबंधन को लेकर पिछले कुछ दिन से बात चल रही थी, जो फेल हो गई है। इसके साथ ही यहां अब तय हो गया है कि दोनों पार्टियां अकेले-अकेले चुनाव लड़ेंगी। इससे पहले इंडी गठबंधन की दोनों प्रमुख पार्टियों आप और कांग्रेस के बीच भी गठबंधन खत्म हो गया था। केजरीवाल ने सभी सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारने का फैसला किया था।
इस कारण नहीं बनी शिओद और भाजपा में बात
सूत्रों के मुताबिक, अकाली दल द्वारा किसान आंदोलन, सिख बंदियों की रिहाई के मामलों को लेकर भी बीजेपी पर दवाब बनाया जा रहा था. साथ ही पंजाब की बीजेपी लीडरशिप भी गठबंधन के हक में नहीं थी.
कुछ समय पहले अकाली दल के सूत्रों ने बताया था कि बीजेपी पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से छह सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रही है, जबकि अकाली दल इतनी सीटें देने को तैयार नहीं है. जब अकाली दल एनडीए में शामिल था, तो वो 10 सीटों पर चुनाव लड़ता रहा और बीजेपी तीन सीटों पर चुनाव रही थी।
वहीं अकाली नेताओं का आरोप है कि बीजेपी ने पंजाब में अकाली दल को कमजोर करने की भी कोशिश की है. बीजेपी ने अकाली दल के नाराज नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कराया ताकि अकाली का वोटबैंक उसको ट्रांसफर हो सके. जालंधर लोकसभा उपचुनाव में भी बीजेपी ने चरणजीत सिंह अटवाल के बेटे इंदर सिंह अटवाल को अपना उम्मीदवार बनाया था
इससे पहले केंद्र सरकार जब किसानों के लिए नए कृषि कानून लेकर आई थी, उसके विरोध में अकाली दल ने एनडीए से अपना नाता तोड़ लिया था. उसके बाद अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर ही पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ा था.
केजरीवाल ने 13 सीटों पर चुनाव लड़ने का किया ऐलान
शिओद और भाजपा से पहले आम आदमी पार्टी ने भी पंजाब में कांग्रेस से अपने रिश्ते खत्म कर लिए। पार्टी अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की है कि वह न सिर्फ पंजाब में,बल्कि हरियाणा की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। इसके साथ ही इन दोनों राज्यों में इंडी गठबंधन भी खत्म हो गया है।