MUZAFFARPUR : एक तरफ लाचार दारोग, दूसरी तरफ मजबूर थाना तो तीसरी तरफ बेबस पुलिस महकमा। इन सब के बीच फंसी रिटायर्ड दारोगा की पारिवारिक स्थिति। मामला मुजफ्फरपुर जिले के सदर थाना का है जहां थानेदारी कर चुके दारोगा सुरेंद्र कुमार आज अपने ही थाना में दर-दर की ठोकरें खाने के लिए विवश हैं।
बेचारगी का आलम यह है कि जिस थाने में कभी उनके नाम का सिक्का चलता था। आज उसी थाने में अपना पेंशन पाने के लिए साहब के सामने गिडगिराना पड़ रहा है।साहब मुझे कब से पेंशन मिलेगा। अब तो चार साल हो गये। वर्ष 2016 से सदर थाना पर केस चार्ज देने के लिए चक्कर काट रहें है।अब तो गिनती भी भूल गये है कि कितनी बार अबतक सदर थाना आये है। वर्तमान में बीते 11 अप्रैल 2022 से लगातार सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक केस चार्ज देने के लिए बैठे रहते है। लेकिन, 71 दिन से अधिक हो गये है। अबतक 129 में से 127 केस का चार्ज ही लिया गया। बाकी के लिए और कितना इंतजार करना पड़ेगा। इसकी जानकारी नहीं है।
आप को बता दें कि, यह व्यथा जिले के सदर थाना की थानेदारी कर चुके और वर्तमान में सदर से रिटायर दारोगा सुरेंद कुमार की है। मंगलवार को सदर थाने पर अपनी व्यथा सुनाते-सुनाते उनकी आंखें भर आई। उन्होंने बताया कि पॉकेट में इतना पैसा नहीं है कि एक जोड़ा चप्पल खरीद सके। चप्पल में कई बार टांका लगवा चुके है। अब कपड़ा भी जवाब दे रहा है। दो जोड़ा कपड़ा लेकर जहानाबाद के घोसी थाना क्षेत्र के भारथू से चले थे। दो रोटी पाने के लिए अपने नजदीकी पताही गॉव के मित्र पर निर्भर रहना पड़ रहा है। लेकिन अपने जीवन की गाढ़ी कमाई कब मिलेगी, इसका अंदाजा तक नहीं है। उन्होंने बताया कि आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि एक बार जहानाबाद लौट गये तो फिर वापस नहीं आ सकते। मामले को वरीय पदाधिकारियों के संज्ञान में भी दिया गया है। लेकिन अभी तक कोई भी समाधान नहीं निकल पाया।
मुजफ्फरपुर से गोविन्द की रिपोर्ट