JAHANABAD : बिहार में अगले सप्ताह से शादियों का सीजन शुरू होने वाले हैं। हजारों युवक युवती विवाह के बंधन में बंधेंगे। लेकिन बिहार के जहानाबाद में कुछ इलाके ऐसे भी हैं, जहां के कई युवाओं का दूल्हा बनने का सपना इस साल भी पूरा नहीं हो पाएगा। जिसकी निराशा इन युवाओं में देखी जा सकती है। यह तीन गांव हैं कोसियावा, सिकरीया,खगड़िया। इन युवाओं की शादी नहीं हो रही है। कोई भी पिता अपनी बेटी इन गांवों में नहीं देना चाहते। शादी नहीं होने का कारण कोई प्रथा नहीं, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था है। जिसका खामियाजा इन गांव कों न सिर्फ युवाओं, बल्कि सभी लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
पइन है सबसे बड़ी समस्या
दरअसल इन तीनों गांवों के लिए एक ही रास्ता है। जो कि एक पइन के बीच से गुजरता है। ग्रामीणों का कहना है कि हम लोग के यहां पुल नहीं होने के कारण युवाओं की शादी नहीं हो रही है। जो लोग भी अपनी बेटी की शादी करने के लिए रिश्ता जोड़ने इस गांव आते हैं और जैसे ही गांव में जाने के रास्ते पर पानी लगता है शादी करने वाले व्यक्ति लौट कर चले जाते हैं। कहते हैं कि जब गांव में जाने का रास्ता ही नहीं है तो इस गांव में अपनी बेटी की शादी करा कर अपनी बेटी के जीवन को बर्बाद नहीं कर सकते। इसलिए इस गांव के लोग पलायन करने के लिए मजबूर हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पइन में आठ माह पानी जमा रहता है। इसी पइन में जमा पानी से गुजर कर ही लोग आना जाना करते हैं।
अस्पताल जाना भी मुश्किल
लोगों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो झोलाछाप डॉक्टर के सिवा इलाज कराने के लिए कोई रास्ता नहीं है। गांव के लोग किसी तरह पानी को पारकर काको या जहानाबाद ले जाते हैं। अगर रात्रि में कोई बीमार हो जाता है तो अस्पताल जाना काफी मुश्किल है लोगों का कहना है कि साल में यह हालत लगभग 8 महीने तक रहता है। हम लोग कई बार जनप्रतिनिधियों एवं पदाधिकारियों से गुहार लगाते लगाते थक चुके हैं। लेकिन पुल का निर्माण नहीं हो रहा है।
लोगों का कहना है कि भले ही सरकार गांव को शहर जैसा सुविधा उपलब्ध कराने की बात कर रही है। लेकिन जब इन तीनों गांव की हालत देखी जाती है तो इससे लगता है कि अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोग विकास से कोसों दूर नजर आ रहे हैं। जबकि इस क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करने वाले नेता मंत्री भी रह चुके हैं लेकिन मंत्री और विधायक आज तक गांव के लोगो के लिये एक पुल का निर्माण नहीं करा सके,ग्रामीण जनप्रतिनिधियों को कोसते हुए कहते हैं की वोट की बात आती है तो जनप्रतिनिधि जनता को झांसा देकर वोट ले लेते हैं। लेकिन विकास की बात पर वे दूर-दूर नजर नहीं आते हैं।