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बिहार पुलिस का जवान कैसे बन गया 95 मुकदमों का मुजरिम,AK-47 के शौकीन सतीश पांडे की डॉन बनने की INSIDE STORY

बिहार पुलिस का जवान कैसे बन गया 95 मुकदमों का मुजरिम,AK-47 के शौकीन सतीश पांडे की डॉन बनने की INSIDE STORY

पटना : बिहार की सियासत में आजकल गोपालगंज वाले कुख्यात सतीश पांडेय की चर्चा खूब है. डीएम के गार्ड से कुख्यात तक के सफर में सतीश पांडेय ने कानून को खुलेआम कई बार चुनौती दी है. 

बिहार पुलिस के जवान से डॉन तक का सफर
गोपालगंज के हथुआ थाने के नयागांव तुलसिया के रहनेवाले जेडीयू विधायक आमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडे का भाई सतीश पांडेय पिछले दो दशक से अपराध की दुनिया में सक्रिय है.सतीश पांडेय बिहार पुलिस में भर्ती हुआ था और सीवान के जिलाधिकारी का अंगरक्षक भी था. सतीश पांडे ने सीवान के पूर्व सांसद स्वर्गीय जनार्दन तिवारी के भांजे और अपने परम मित्र अभय पांडे की हत्या के बाद अपराध की दुनिया में कदम रखा था. उसके बाद सतीश पांडेय ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और जरायम की दुनिया में अपने कदम जमाता गया.

सतीश पांडेय पर 95 मामले दर्ज
सतीश पांडेय पर बिहार सरकार के मंत्री रहे बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड के अलावा कई नरसंहार और हत्याओं का मामला दर्ज है. सतीश पांडेय ने अपने वर्चस्व को गोपालगंज में स्थापित कर छोटे भाई अमरेंद्र कुमार उर्फ पप्पू पांडेय को विधायक बनाया. कभी पत्नी उर्मिला देवी और कभी बेटे मुकेश पांडेय को जिला पर्षद अध्यक्ष की कुर्सी दिलायी. जिले में चलने वाले टेंडर वार में भी पांडेय भाइयों का सिक्का चलता है और लम्बे अरसे से कोई इस परिवार के सामने खड़े होने की हिम्मत नहीं करता है.

कभी अंतरराज्‍यीय अपराधी गिरोह का सरगना और दो लाख रुपए के ईनामी अपराधी सतीश पांडे के खिलाफ तकरीबन 94 से 95 मामले दर्ज हैं. बिहार और उतर प्रदेश पुलिस के लिए लम्बे समय तक वांछित रहा सतीश पांडे गोपालगंज जिले के कुचायकोट थाना के एक गांव का निवासी है. सतीश पांडे की पत्नी उर्मिला पांडे गोपालगंज जिला परिषद की अध्यक्ष रह चुकी हैं और बेटा भी गोपालगंज जिला परिषद का अध्यक्ष है. भाई अमरेंद्र पांडे विधायक हैं. सतीश पांडे ने वर्ष 1990 और 1995 में सीवान जिले के बरौली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ा था, लेकिन उसे जीत हासिल नहीं हो सकी थी.

शहाबुद्दीन से टसल
90 के दशक में कुख्यात सतीश पांडेय और बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन के बीच रेलवे रैक पर अपना दबदबा कायम करने और लेवी वसूलने को लेकर कई बार हिंसक झड़पें हुई थीं. इस वर्चस्व की लड़ाई में कइयों की जानें भी गई. उस दौर में शहाबुद्दीन की तूती बोलती थी क्योंकि उस दौरान बिहार में लालू यादव की सरकार थी और मोहम्मद शहाबुद्दीन को लालू और उनके रसूख का खुलकर सहयोग मिलता था लेकिन जैसे-जैसे समय बदलता गया और 2005 में बिहार में तख्तापलट हुआ शहाबुद्दीन कमजोर होते गए और फिर कुख्यात सतीश पांडेय का रेलवे के रैक पर पूरा साम्राज्य स्थापित हो गया. बताया सवाल यही है कि जब बिहार ने सुशासन का राज है तो संतीश पांडेय लोग कैसे पनपते है. 2018 में लखनऊ में गिरफ्तार पप्पू ने बताया कि माफिया सतीश पाण्डेय के पास छह एके-47 


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