DESK : अंतरिक्ष की दुनिया में आज इसरो नया इतिहास बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। आज चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद सूर्य के मिशन आदित्य-एल1 का सफल लॉन्च और अब गगनयान की लांचिंग की जाएगी। अगर इस मिशन में भारत को सफलता मिलती है तो 2025 में इसरो अंतरिक्ष में अपना पहला मानवयुक्त यान भेजेगा। । इसरो चांद-सूरज के बाद अब आसमां को मुट्ठी में करने को बेताब है।
आज 8 बजे होगी लांचिंग
भविष्य के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रमों को देखते हुए अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा का परीक्षण करने के लिए इसरो आज सुबह 8:00 बजे मानवरहित उड़ान परीक्षण शुरू करेगा। इसरो टेस्ट व्हीकल अबार्ट मिशन-1 (TV-D 1) के जरिये पहले क्रू मॉड्यूल का परीक्षण करेगा।
बता दें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) आज को एकल-चरण तरल प्रणोदक वाले रॉकेट के प्रक्षेपण के जरिये मानव को अंतरिक्ष में भेजने के अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘गगनयान’ की दिशा में आगे बढ़ेगा। इस दौरान, प्रथम ‘कू मॉड्यूल’ के जरिये अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का परीक्षण किया जाएगा। इस परीक्षण का काउंटडाउन भी शुरू हो चुका है।
नेवी की मदद से होगी सुरक्षित वापसी
इसरो का लक्ष्य तीन दिवसीय गगनयान मिशन के लिए मानव को 400 किलोमीटर की पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष में भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। इसरो के अन्य मिशन से इतर अंतरिक्ष एजेंसी अपने परीक्षण यान एकल चरण प्रणोदन वाले तरल रॉकेट (टीवी-डी1) के सफल प्रक्षेपण का प्रयास करेगी। इस परीक्षण उड़ान की सफलता शेष परीक्षणों और मानवरहित मिशन के लिए मंच तैयार करेगी, जिससे भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के साथ पहला गगनयान कार्यक्रम शुरू होगा, जिसके 2025 में आकार लेने की उम्मीद है।
शनिवार को संपूर्ण परीक्षण उड़ान कार्यक्रम संक्षिप्त रहने की उम्मीद है क्योंकि ‘टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन’ (टीवी-डी1) क्रू एस्केप सिस्टम और क्रू मॉड्यूल को 17 किमी की ऊंचाई पर प्रक्षेपित करेगा, जिसके श्रीहरिकोटा के पूर्वी तट से लगभग 10 किमी दूर समुद्र में सुरक्षित उतरने की उम्मीद है। बाद में बंगाल की खाड़ी से नौसेना द्वारा इन्हें खोज कर निकाला जाएगा।
इस अभियान के माध्यम से, वैज्ञानिकों का लक्ष्य चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, जिन्हें वास्तव में गगनयान मिशन के दौरान एलवीएम-3 रॉकेट से ‘क्रू मॉड्यूल’ में भेजा जाएगा। शनिवार को टीवी-डी1 के परीक्षण के साथ वैज्ञानिकों ने परीक्षणों की एक शृंखला भी तैयार की है।