अगर आप या आपके करीब कोई हर पल घबराया-सा रहता हो, बात-बात पर चिल्लाता हो, किसी चीज में रुचि नहीं रखता, अकेलापन ही भाता हो, तो इसे नजरअंदाज कतई न करें. यह तेजी से बदल रही जीवनशैली का नया रोग ‘एंजाइटी’ है. यह रोग कितना खतरनाक है और इससे कैसे बचाव हो सकता है जानते है एक्सपर्ट्स की राय डर, घबराहट, चिंता बेहद सामान्य बातें लगती हैं. लाइफ में हर किसी को इन चीजों से दो-चार होना पड़ता है, लेकिन यह स्थिति लंबे समय तक बने रहने और इन भावनाओं से उबरने में नाकाम रहें, तो समझिए आप किसी-न-किसी रूप में एंजाइटी के शिकार हो चुके हैं. छोटी-छोटी बात पर चिड़चिड़ाना, रोने लगना ये सब घबराहट की लक्षण हैं. ऐसी आशंका है कि वर्ष 2020 तक देश के 20 प्रतिशत लोग किसी न किसी मानसिक बीमारी की चपेट में होंगे. फिलहाल 10 फीसदी लोग डिप्रेशन से प्रभावित हैं, जबकि हर रोज की चिंता का असर देश के 25 प्रतिशत लोगों पर दिख रहा है. इसका अर्थ यह है कि हर चार में से एक व्यक्ति एंजाइटी की गिरफ्त में आ रहा है. अगर एंजाइटी के लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो यह स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या है. इस समस्या का निदान हो सकता है, बस जरूरत है इस एंजाइटी डिसऑर्डर को समय रहते समझने की.
क्या है एंजाइटी डिसऑर्डर
अगर आपको लगे कि हर समय किसी न किसी बात की चिंता बनी रहती है, मन बेचैन रहता है या फिर भविष्य को लेकर किसी प्रकार का डर सता रहा है, तो हो सकता है आप एंजाइटी से ग्रसित हों. इसके प्रमुख लक्षण थकान, सिरदर्द और अनिंद्रा हैं. हालांकि यह लक्षण विभिन्न लोगों में अलग-अलग भी हो सकते हैं, लेकिन स्थायी डर और चिंता सभी में देखे जाते हैं. अगर यह लक्षण तीव्र नहीं हैं, तो समय बीतने के साथ समाप्त हो जायेंगे, अन्यथा एंजाइटी डिसऑर्डर हो जाता है. इससे रोजमर्रा का जीवन और कार्यक्षमता भी प्रभावित होने लगती है.
कैसे बचें इससे
लाइफस्टाइल में बदलाव : एंजाइटी से उबरने के लिए अस्त-व्यस्त लाइफस्टाइल को ठीक करना बेहद जरूरी है. नियमित समय पर खाएं और सोने तथा उठने का भी एक निश्चित समय बनाएं. नींद की कमी से मस्तिष्क अपनी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पाता. अनिद्रा से एंजाइटी और डिप्रेशन जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है.
योग और ध्यान करें : शारीरिक रूप से सक्रिय रहें. नियमित एक्सरसाइज करने से मस्तिष्क में रक्त का संचरण बढ़ता है और उसकी कार्यक्षमता बढ़ती है. ब्रीदिंग एक्सरसाइज और शीतली प्रणायाम करें, इससे एंजाइटी डिसऑर्डर से जल्दी निजात मिलेगी. योग मेटाबॉलिक रेट को बढ़ाता है. मानसिक शांति के लिए ध्यान करें. ध्यान सेरिब्रल कोरटेक्स की मोटाई बढ़ाता है. मस्तिष्क के शरीर की कोशिकाओं से संपर्क करने की क्षमता भी बढ़ती है.
मन पर लगाएं लगाम : अगर मन पर लगाम नहीं है, तो आप परेशानी में फंस सकते हैं. थोड़ा अपने लिए भी समय निकालना सीखें. हर बात में न उलझते हुए जो काम कर रहे हैं, उसे मन लगा कर करें. अपेक्षाओं को कम करें. क्षमताओं का आकलन करके व्यावहारिक लक्ष्य बनाएं. कामों की प्राथमिकता तय करें. एक साथ कई काम करने से बचें. दिनभर में 15 मिनट का समय अपने लिए जरूर निकालें और रिश्तों को एंज्वॉय करें.
सोशल बनें : एंजाइटी से निजात पाने के लिए जरूरी है कि आप थोड़ा सोशल बनें. अच्छे खुशहाल रिश्ते मनुष्य की सेहत के लिए बहुत जरूरी हैं. एक शोध में यह बात सामने आयी है कि जिन लोगों का सामाजिक जीवन जितना सक्रिय होता है, उतनी ही उनके मानसिक रोगों के चपेट में आने की आशंका कम होती है.
अगर आपको लगे कि हर समय किसी न किसी बात की चिंता बनी रहती है, मन बेचैन रहता है या फिर भविष्य को लेकर किसी प्रकार का डर आपको सता रहा हो, तो हो सकता है आप एंजाइटी से ग्रसित हों. ऐसे लक्षण होने पर नजरअंदाज न करें और फौरन मनोचिकित्सक से मिलें. जिस तरह हम अन्य बीमारियों में दौड़ कर डॉक्टर के पास जाते हैं, वैसे ही अगर व्यवहार में कोई बदलाव दिखे, तो नि:संकोच मनोचिकित्सक के पास जाना चाहिए. व्यक्ति की मानसिक अवस्था का उसकी जीवनशैली से भी खासा संबंध है. खाने-पीने की गलत आदतों से तनाव और चिंता बढ़ सकती है. जबकि राइट डाइट का ध्यान केंद्रित करने की क्षमता, अच्छी नींद और एंजाइटी लेवल के कम होने में खासा रोल होता है.
जनरालाइज्ड एंजाइटी डिसऑर्डर (जीएडी) : इस तरह के केस में देखा गया है कि पीड़ित व्यक्ति बिना मतलब के भी अत्यधिक चिंता और तनाव में रहते हैं. इतना ही नहीं, कई बार तो बिना बात के भी उत्तेजित या फिर चिंता में आ जाते हैं. इसमें पीड़ित व्यक्ति को अधिक पसीना आना, सिर दर्द, थकान, मांसपेशियों में दर्द आदि लक्षण देखे जाते हैं.
पेनिक डिसऑर्डर : अक्सर ऐसा महसूस होता है जैसे सांस रुक रही है या हार्ट अटैक आ रहा है या फिर कुछ ही देर में उनकी मौत होनेवाली है. पेनिक डिसऑर्डर उस खास कंडिशन में होता है, जब व्यक्ति डिप्रेशन, अल्कोहलिज्म या फिर ड्रग अब्यूज होते हैं. व्यक्ति में हार्ट और चेस्ट में तेजी से पेन होता है.
गलत तरीके से ध्यान करने से बचें: आज कर लोग किताबों को पढ़ कर ध्यान करने लगे है लेकिन सही प्रकार से ध्यान नहीं करने से हो सकती है तरह तरह की मानसिक परेशानी, ध्यान उर्जा तो देता है लेकिन अत्यधिक ऊर्जा भी कभी कभी आप को नुक्सान पहुंचा सकता है जिस ध्यान से नींद आती है अगर गलत तरीके से किया तो नींद भी डिस्टर्ब हो सकती है इस लिए योग गुरु की मदत ले ध्यान करने से पहले.