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जयंती विशेष : नेताजी सुभाष चंद्र बोस का बिहार से था गहरा लगाव, पटना के गाँधी मैदान में भीड़ देखकर हतप्रभ रह गए थे बोस

जयंती विशेष : नेताजी सुभाष चंद्र बोस का बिहार से था गहरा लगाव, पटना के गाँधी मैदान में भीड़ देखकर हतप्रभ रह गए थे बोस

पटना. 23 जनवरी 1897 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म हुआ था. रविवार को उनकी 125वीं जयंती मनाई जा रही. कटक में पैदा हुए सुभाष चंद्र बोस का बिहार से गहरा लगाव रहा था. स्वतंत्रता आन्दोलन में उन्होंने बिहार में कुछ में भी क्रांति की अलख जगाई. खासकर 29 अगस्त 1939 को पटना के बांकीपुर मैदान अब (गांधी मैदान) में हुई उनकी आम सभा ऐतिहासिक रही थी. 

अगस्त 1939 में सुभाष चंद्र बोस बिहार आए. उन्होंने उस समय पटना में लगातार कुछ दिन बिताए. इसी में 29 अगस्त 1939 को पटना के बांकीपुर मैदान में शाम करीब पांच बजे से आम सभा हुई. उस आमसभा में बोस का स्वागत करने के लिए जय प्रकाश नारायण और कवि रामवृक्ष बेनीपुरी उपस्थित थे. कहा जाता है कि उस दिन बोस ने  भारतीय स्वतंत्रता को लेकर बिहार के लोगों के बीच एक ओजस्वित, उत्साही और क्रन्तिकारी भाषण दिया. उनकी अपील पर उस दिन सभा में मौजूद लोगों में एक अलग किस्म की क्रांति का संचार हुआ जो आने वाले दिनों में आजादी के आंदोलन में बेहद अहम रहे. कहा जाता है कि अंग्रेजों की दमनकारी निति के बाद भी बोस को सुनने के लिए दूर दूर से लोग आये और सभा में करीब 20 हजार लोगों की उपस्थिति देखकर बोस भी हतप्रभ रह गए थे. बोस ने अपनी संस्था फारवर्ड ब्लॉक के निर्माण के कारण और उसके कार्यक्रम के बारे में लोगों को विस्तार से बताया था. 

वहीं इसके एक दिन पूर्व नेताजी का पटना सिटी के सिमली मुरारपुर निवासी बिफन महतो के यहाँ आगमन हुआ था. दरअसल वे महतो के आमंत्रण पर ही पटना आए थे. अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का नारा बुलंद करने वाले नेताजी की एक झलक पाने को लेकर उस समय कई लोग उतावले दिखे थे. मीडिया रिपोर्टों और साक्ष्यों के अनुसार बिलकुल गुमनाम तरीके से पटना पहुंचे नेताजी के यहाँ आने की खबर जैसे जैसे लोगों को लगी उनके कार्यक्रम में भारी संख्या में लोग उमड़े. 

वहीं उसी दौरान नेताजी की एक अन्य सभा का जिक्र 27 अगस्त 1939 को आता है जो उन्होंने पटना के खगौल इलाके में की थी. खगौल के कच्ची तालाब के पास हुई आमसभा में उस समय नेताजी ने अपने संबोधन में किसानों और मजदूरों की दयनीय स्थिति पर चिंता जताई थी. उन्होंने सभी से अपने हक और अधिकार को लेकर संघर्ष करने का आह्वान किया था.  


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