पटना. बिहार में अपने जनाधार को सभी जातियों में मजबूत करने की रणनीति पर भाजपा काम कर रही है. इसी क्रम में पार्टी ने बिहार की सभी जातियों को अलग अलग तरीके से साधने की तैयारी की है. बिहार की राजनीति में जाति की महत्ता से इनकार नहीं किया जा सकता है. इसे समझते हुए भाजपा उसी अनुरूप अभी से तैयारी में लगी है. इस वर्ष अब तक भाजपा ने दो प्रमुख जातियों को साधने के लिए दो बड़े आयोजन किए. पहले फरवरी 2023 में भूमिहार जाति को साधने के लिए भाजपा ने स्वामी सहजानंद की जयंती मनाई. इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आए.
वहीं ओबीसी समाज की सबसे प्रमुख जाति यादवों को अपने पाले में करने के लिए इसी महीने यानी नवंबर में ही पटना में यदुवंशी सम्मेलन हुआ. भाजपा ने गोवर्धन पूजा पर पटना में बड़ी ताकत दिखाई और दावा किया कि 21 हजार से ज्यादा यादवों ने पार्टी का दामन थामा. जाति की राजनीति में भूमिहार और यादव को लेकर दो बड़े आयोजन करने के बाद अब भाजपा अब एक बार फिर से एक और जातीय सम्मेलन करने की जुगत में है.
भाजपा के अनुसार बुनकर समाज को साधने के मकसद से इस बार तांती रैली करने की तैयारी है. पटना के बापू सभागार में 25 नवंबर को आयोजन होगा. पूर्व विधायक शिवेश राम, अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रभारी प्रवीण तांती ने बताया कि झलकारी बाई के नाम पर सभा का आयोजन होगा. बुनकर समाज के लोगों की इस रैली में भाजपा अपने शीर्ष नेतृत्व को उतार सकती है. सूत्रों का कहना है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को तांती रैली में आने के लिए अनुरोध किया गया है. 25 नम्वबर को राजस्थान में विधानसभा का चुनाव है इसलिए चुनाव प्रचार भी उस दिन तक खत्म हो जाएगा. ऐसे में जेपी नड्डा के बिहार आने पर सहमति बन सकती है. हालांकि अभी तक नड्डा ने इसे लेकर सहमति नहीं दी है.
कहा जा रहा है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भी आयोजन में शामिल रहेंगे. तांती समाज को बताया जाएगा कि नरेंद्र मोदी ने बुनकर वर्ग के लिए जो विकास किया है और उनके लिए जो योजनाएं चलाई है उससे कैसे लाभ हो रहा है. एक अनुमान के मुताबिक बिहार में तांती, बुनकर, जोलहा जैसी जातियों की बड़ी संख्या है. साथ ही बिहार के कई जिलों में यह एक बड़ा वोट बैंक है. इसे समझते हुए भाजपा ने तांती रैली की तैयारी की है. अगर नड्डा और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अपनी सहमति दी तो 25 नम्वबर को रैली तय मानी जा रही है. इसे में भूमिहार और यादव के बाद अब बुनकरों को साधकर भाजपा बिहार में जातीय राजनीति को नए तरीके से साधने की जुगत में है.