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ज्योतिरादित्य सिंधिया के मन की बात, कांग्रेस का जनाधार बिल्कुल खत्म, मुद्दों पर बात करेंगे तो आपकी इज्जत उतार देंगे कांग्रेसी,कुव्यवस्था का आलम..

ज्योतिरादित्य सिंधिया के मन की बात, कांग्रेस का जनाधार बिल्कुल खत्म, मुद्दों पर बात करेंगे तो आपकी इज्जत उतार देंगे कांग्रेसी,कुव्यवस्था का आलम..

एक वक्त था जब राहुल गांधी और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की दोस्ती के किस्से राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय हुआ करती थीं. ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रियंका गांधी से भी अच्छी बनती थी तो सवाल है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का दमान क्यों छोड़ दिया था, ये सवाल लगातार किए जा रहे थे. इसका जवाब अब जा कर मिला है.

राहुल प्रियंका के साथ रिश्ते अच्छे थे तो कांग्रेस से संबंध टूटने का क्या कारण था पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सहज भाव से कहा कि ये रिश्तों में आई खटास का मामला नहीं है बल्कि एक संस्था के खोते आधार का परिणाम है. उन्होंने कहा कि हम जनता के लिए काम करते हैं.  हमारा एक ही लक्ष्य होता है जनता की सेवा, लेकिन जब हम मूल काम हीं न कर पा रहें हों, खासकर मैं अपने राज्य के मुद्दे उठा रहा था,भ्रष्टाचार की बात उठाई तो किनारे कर दिया गया. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि व्यवस्था सड़ने लगा था और जब आप ऐसे मुद्दों को उठाते हैं तो आपको बेइज्जत किया जाता है , उन्होंने कहा कि ऐसे में मैंने दूर हटना बेहतर समझा 

नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया है कि कांग्रेस की असल दिक्कत ये है कि वो एक संस्था के तौर पर अपना आधार खोती जा रही है. कांग्रेस पार्टी की सोच सच्चाई से बहुत दूर है. सिंधिया ने कांग्रेस के कई राज खोलते हुए  कांग्रेस बनाम भाजपा सरकार के बीच का भेद बताया .अपने मंत्रालय की खूबियां बताईं और ये भी कि नरेंद्र मोदी सरकार ने कैसे धरातल पर रहकर काम किया.  उन्होंने कहा- अपने साढ़े 9 साल के कार्यकाल में 74 हवाईअड्डा बना लिए. हालाकि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने ताबड़तोड़ बने एयरपोर्ट्स को एक स्कैम बताया था.ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के सवाल पर कहा कि राज्य में पार्टी बहुत मजबूत स्थिति में है. उन्होंने कहा कि पंचायत और बूथ स्तर तक भाजपा पकड़ मजबूत है.

बता दे कि 2001 में पिता माधवराव के निधन के तीन महीने बाद ज्योतिरादित्य कांग्रेस में शामिल हो गए और इसके अगले साल उन्होंने गुना से चुनाव लड़ा जहाँ की सीट उनके पिता के निधन से ख़ाली हो गई थी. वो भारी बहुमत से जीते. साल 2002 की जीत के बाद वो वर्ष 2004, साल 2009 और साल 2014 में भी सांसद निर्वाचित हुए. लेकिन साल 2019 के चुनाव में वे अपने ही एक पूर्व निजी सचिव केपीएस यादव से हार गए.केपीएस यादव ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था.ज्योतिरादित्य केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकारों साल 2004-2014 में मंत्री रहे. 2007 में उन्हें संचार और सूचना तकनीक मामलों का मंत्री बनाया गया, साल 2009 में वे वाणिज्य और उद्योग मामलों के राज्य मंत्री बने और साल 2014 में वे ऊर्जा मंत्री बने. उनकी छवि एक ऐसे मंत्री की थी जो सख़्त फ़ैसले लेता था. 

राहुल गांधी के साथ ज्योतिरादित्य की नज़दीकी कई मौक़ों पर साफ़ दिखाई दी. साल 2014 के चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद भी दोनों नेता कई बर साथ दिखे.ज्योतिरादित्य चाहते थे कि मध्य प्रदेश से पार्टी उन्हें सांसद बना कर राज्यसभा में भेजे, लेकिन मध्यप्रदेश से दिग्विजय सिंह के बाद एक बार फिर उन्हीं को या फिर प्रियंका गांधी वाड्रा को राज्यसभा के लिए नामित करने की बात होने लगी जिससे ज्योतिरादित्य की उम्मीदों पर पानी फिर गया. विवाद बढ़ता गया और उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया.

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