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सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सीजेआई ने कहा - अब कोई कोर्ट नहीं जाना चाहता है, जर्जर हो चुकी है भारतीय न्यायिक व्यवस्था

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सीजेआई ने कहा - अब कोई कोर्ट नहीं जाना चाहता है, जर्जर हो चुकी है भारतीय न्यायिक व्यवस्था

नई दिल्ली। भारत की न्याय व्यवस्था पर आए दिन सवाल उठाए जाते हैं कि यहां आम लोगों को न्याय नहीं मिलता है। अब इस बात की पुष्टि सुप्रीम के पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई की बातों से भी हो गया है। एक समाचार चैनल से किए गए बातचीत में गोगोई ने भारतीय न्याय व्यवस्था को खस्ताहाल बताया है। उन्होंने कहा कि जैसे हालात हैं, उसमें अब कोई भी कोर्ट नहीं जाना चाहता, वह भी नहीं। पूर्व सीजेआई ने कहा कि जो लोग जोखिम उठा सकते हैं, वहीं कोर्ट का रूख तय करते हैं। 

पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने इस दौरान भारतीय न्याय व्यवस्था में बड़े बदलावों की बात भी कही। उन्होंने कहा, 'आप 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था चाहते हैं लेकिन आपकी न्याय व्यवस्था जर्जर हालत में है।'उन्होंने कहा, 'सही काम के लिए उचित व्यक्ति को नियुक्त करना है। आप जजों की नियुक्ति वैसे नहीं कर सकते जैसे सरकार में अफसरों की होती है। न्यायाधीश बनना एक पूर्णकालिक प्रतिबद्धता है। यह एक जुनून है। एक न्यायाधीश के काम के लिए कोई तय घंटे नहीं होते। यह 24 घंटे का काम है। आप रात 2 बजे नींद से उठते हैं, कोई बिंदु याद आता है और उसे लिखकर रखते हैं। एक जज ऐसे काम करता है। कितने लोग ये समझते हैं?'

सिर्फ बड़े कॉर्पोरेट ही अदालत का रुख करते हैं

गोगोई नवंबर 2019 में सीजेआई के पद से रिटायर रंजन गोगोई ने कहा , 'कौन कोर्ट जाता है? आप अदालत जाते हैं और पछताते हैं।' रंजन गोगोई ने आगे कहा कि बड़े कॉर्पोरेट ही अदालतों का रुख करते हैं क्योंकि ये जोखिम उठा सकते हैं। पूर्व चीफ जस्टिस ने कहा, 'अगर आप अदालत जाते हैं तो आप अपने निजी मामलो को कोर्ट में सार्वजनिक करते हैं। आपको कभी भी फैसला नहीं मिलता।'

अयोध्या मामले पर फैसले के लिए याद किए जाते हैं गोगोई

रंजन गोगोई ने अयोध्या और राफेल को लेकर दिए गए फैसलों के एवज में राज्यसभा सदस्यता मिलने के आरोपों को भी खारिज कर दिया। उन्होंने तंज भरे अंदाज में कहा कि अगर वाकई कोई सौदा करता तो क्या सिर्फ राज्यसभा सीट से संतुष्ट होता। उन्होंने इस मुद्दे को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि अगर मैंने बीजेपी के पक्ष में फैसला सुनाने के लिए सौदा किया होता तो सिर्फ राज्यसभा सीट ही क्यों लेता, मैं कुछ बड़ी मांग करता।


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