PATNA : बिहार के सरकारी स्कूलों में दशकों से फर्श पर दरी और चटाई बिछाकर पढ़ाई का अब हमेशा के लिए अंत होने जा रहा है। बिहार शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक ने सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले छात्रों को अबतक का सबसे बड़ा तोहफा दिया है। उन्होंने घोषणा की है नए शिक्षण सत्र से सभी सरकारी स्कूलों में छात्रों के लिए बेंच-डेस्क की सुविधा उपलब्ध होगी। इसको लेकर शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि 28 अप्रैल तक सभी स्कूलों में फर्नीचर की खरीदी का काम सुनिश्चित कर लिया जाए।
दरअसल, पिछले कई सालों से राज्य दरअसल, ज्यादातर प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की संख्या के अनुसार बेंच-डेस्क का अभाव है। कई स्कूलों में तो बेंच-डेस्क हैं ही नहीं। ऐसे स्कूलों में बच्चों ने कड़ाके की ठंड में बोरा और प्लास्टिक की चादरों पर बैठकर पढ़ाई पूरी की। न तो सरकार ने और न ही किसी अधिकारी ने इसे बदलने की कोशिश की है। लेकिन, जब यह समस्या शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (KK Pathak) तक पहुंची तो उन्होंने इसे प्राथमिकता के आधार पर दूर करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है।
पहली से लेकर 12वीं तक के कक्षाओं के लिए बेंच-डेस्क
पहली फरवरी को सभी जिलों के उप विकास आयुक्त, शिक्षा विभाग के सभी क्षेत्रीय उप निदेशक और सभी जिला शिक्षा अधिकारी को लिखे पत्र में कहा है कि राज्य के सभी स्कूलों में पहली अप्रैल से कक्षा एक से 12वीं तक का कोई भी बच्चा फर्श पर बैठकर पढ़ाई नहीं करेगा। सभी स्कूलों में फर्नीचर की व्यवस्था इससे पहले की जानी है।
सभी जिलों में फर्नीचर उपलब्ध कराने के लिए इंपैनल कर दिया गया
सभी जिलों में फर्नीचर उपलब्ध कराने के लिए वेंडरों को भी इंपैनल कर दिया गया है। अपर मुख्य सचिव ने अपने पत्र में कहा है कि 28 अप्रैल तक सभी स्कूलों में फर्नीचर की खरीद और आपूर्ति का काम पूरा कर लिया जाए। साथ ही इससे संबंधित विपत्र 15 मार्च तक कोषागार में प्रस्तुत कर दिया जाए, ताकि किसी हाल में इस मद की राशि सरेंडर करने की नौबत नहीं आए। उन्होंने अपने पत्र में पैनल के सभी वेंडर को समान रूप से आर्डर देने और फर्नीचर की गुणवत्ता का ध्यान रखने का भी निर्देश दिया है।
900 करोड़ रुपये स्वीकृत
अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने कहा कि स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा रहा है। 900 करोड़ रुपये स्कूलों में बेंच और डेस्क के लिए स्वीकृत किए गए हैं। एक अप्रैल से कोई भी बच्चा जमीन पर बैठकर अपनी कक्षा में पढ़ाई नहीं करेगा। केके पाठक की यह घोषणा खूब सुर्खियां बटोर रही है।