KUSHINAGAR : भगवान राम के मंदिर शिलान्यास के अवसर पर कुशीनगर के रामपुर गोनहा में जन्मे जितेन्द्र पाठक ( स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती )को भी आमंत्रित किया गया है. भगवान बुद्ध, ,भगवान महावीर व सालिग्रामी नारायणी के इस पावन धरती से इस ऐतिहासिक क्षण पर दूसरी भागीदारी है. प्रोफेसर विनय पांडेय व स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती की मौजूदगी से कुशीनगर का नाम इतिहास के स्वर्णिम अक्षर में अंकित हो जाएगा.
कौन हैं स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती
कुशीनगर जनपद के खडडा विकास खंड के रामपुर गोनहा ग्राम में स्वर्गीय जनार्दन पाठक के घर जितेन्द्र पाठक का जन्म हुआ था. प्राथमिक शिक्षा खडडा के भारतीय शिशु मंदिर स्कूल में हुई. पडरौना के उदित नारायण डिग्री कालेज से स्नातक किया. शादी कर घर गृहस्थी बसाने के बजाय देश सेवा करने का इरादा किया और आर एस एस से जुड़कर घर परिवार त्याग दिया. राम मंदिर आदोलन में बढचढ कर हिस्सा लिया. 1990 मे उन्हें जेल में रहना पड़ा. हिन्दू धर्म व देश सेवा के भ्रमण काल में पंडित मदनमोहन मालवीय के पौत्र व उच्चतम न्यायालय के जज गिरधर मालवीय के संपर्क में आए और उनके आह्वान पर गंगा को स्वच्छ सुंदर बनाने के लिए बनी संस्था गंगा महासभा से जुड़ गये.
इनको संस्था का राष्ट्रीय महामंत्री का पद दिया गया. गंगा स्वच्छता अभियान के बीच ही ज्योतिष पीठ काशी के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के सानिध्य में आकर इनके शिष्य बन गये और दंडी स्वामी की पदवी प्राप्त हुई. खडडा के जितेन्द्र पाठक अब स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती बन गये हैं. इसके साथ ही जिम्मेदारी बढती गयी. इनको अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया. जिसका बखूबी निर्वहन किया.
उक्त सभी दायित्वों के साथ ही विश्व हिन्दू परिषद के उच्चाधिकार समिति के सदस्य का दायित्व भी मिला और अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण में इन्होंने अपना अमूल्य योगदान दिया. स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती को शिलान्यास के अवसर पर आमंत्रण मिलने की जानकारी इनके घर पहुंची तो वृद्ध मां अमरावती देवी ,छोटे भाइ देवेन्द्र पाठक के साथ ही पूरे इलाके में खुशी की लहर दौड़ गयी है. स्वामी जी के बचपन के मित्र भाजपा के वरिष्ठ नेता डाक्टर निलेश मिश्र हर्ष व्यक्त करते हुए कहते हैं कि धर्म ध्वजा फहरा रहे स्वामी जी को भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण में किए जा रहे योगदान से पूरा क्षेत्र गौरवान्वित है.
कुशीनगर से विद्या बाबा की रिपोर्ट