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लालू का दुलारा डॉन 'शहाबुद्दीन', तब जेल में होने की बजाए अस्पताल में लगाता था 'दरबार', DM को फोन लगा कहता हम बोल रहे और ....

लालू का दुलारा डॉन 'शहाबुद्दीन', तब जेल में होने की बजाए अस्पताल में लगाता था 'दरबार', DM को फोन लगा कहता हम बोल रहे और ....

PATNA:  लालू-राबड़ी राज का वो दौर जब बाहुबलियों का साम्राज्य था।तब कानून का राज नहीं बल्कि इन बाहुबलियों का ही अघोषित राज था। उन्हीं में से एक सबसे बड़े डॉन मो. शहाबुद्दीन था जिसका पूरे बिहार में सिक्का चलता था।इससे आम आदमी की बात तो छोड़ दें आईएएस और आईपीएस अफसर भी खौफ खाते थे। 

जब एड्स वार्ड में भर्ती हो गया था लालू-राबड़ी राज का डॉन

बात 2004 की है.... जब मोहम्मद शहाबुद्दीन लालू यादव के सिवान से सांसद थे. उस समय उसे जेल में होना चाहिए था, क्योंकि उस पर एक राजनीतिक प्रतिद्वंदी की हत्या का आरोप था. लेकिन उसने बीमारी का प्रमाण पत्र प्राप्त किया था और वह सिवान के जिला अस्पताल के एड्स वार्ड में भर्ती हो गया था. उस अस्पताल के एक नए ब्लॉक के 2 फ्लोर शहाबुद्दीन ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए आवंटित राशि से बनवाए थे. उस वार्ड के बाहर एक प्लेट पर सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन का नाम अंकित था. लिखा था..... माननीय सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के सौजन्य से. शहाबुद्दीन को एड्स नहीं था पर एड्स वार्ड पर उसका ही केवल अधिकार था. प्रथम तल पर उसके दो निजी कमरे थे, उसके आदमी जिन्हें वह 'मेरे कर्मचारी' कहता था उन कमरों पर कब्जा किए हुए थे. जबकि उनमें से हर एक कमरा एड्स मरीजों के लिए उपलब्ध होना चाहिए था.

हम बोल रहे हैं......

लालू-राबड़ी राज का डॉन अड्स वार्ड के मुख्य हॉल में हर रोज अपना दरबार सजाता था. वह लोहे की बनी एक कुर्सी पर बैठता था जिसे सिंहासन का रूप दिया गया था. उसके सामने लंबी-लंबी बेंचो की दो कतारें थी, जैसी किसी चर्च में हुआ करती हैं. उसके पास याचिकाएं-अर्जियां लेकर आने वालों का तांता लगा रहता था. बेंचों से छोटी छोटी पर्चियां आगे भेजी जाती थी और एक वर्दीधारी सेवक पर्ची में लिखा मजमून धीरे से पढ़कर डॉन को सुनाता था. लालू राज का डॉन मो. शहाबुद्दीन खुद मुट्ठी भर लौंग तथा इलायची मुंह में भरे हुए कुछ-कुछ बोलने का दिखावा करता. जब कभी उसे ठीक लगता वह अपना सेलफोन उठाता और बात करता, लेकिन कभी अपना नाम नहीं बताता था. कहा हुआ काम हो जाने का उसे पूरा यकीन रहता था. जिला मजिस्ट्रेट हो या पुलिस प्रमुख, राजस्व अधिकारी हो या कचहरी रजिस्ट्रार किसी से भी बोलते हुए वह अपनी बात की शुरुआत इस तरह करता था. हम बोल रहे हैं..........। जिन पर्चियों के बारे में वह बात कर चुका होता उन्हें रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता था. बाकी पर्चियों को लौटा दी जाती थी. ऐसा कभी नहीं होता था कि डॉन किसी भी अर्जी पर कार्रवाई करने में असमर्थता दिखलाए, लेकिन संकेत यही मिलता था कि फिलहाल कुछ नहीं हो सकता फिर कभी आएं.इस तरह से लालू-राबड़ी राज के डॉन का दरबार सिवान के जिला अस्पताल के एड्स वार्ड में सजती थी।

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