DESK: महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने लोकसभा से हुए निष्कासन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मालूम हो कि, शुक्रवार को महुआ मोइत्रा को रिश्वत लेकर सवाल पूछने के मामले में निचले सदन ने बाहर कर दिया था। कैश फॉर क्वेरी केस में एथिक्स कमेटी की सिफारिश पर लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने उनकी सदस्यता को खत्म करने को लेकर अपनी मंजूरी प्रदान की थी।
निष्कासन के बाद महुआ ने एथिक्स कमेटी पर भी निशाना साधा था। उन्होंने 'बगैर सबूत' कार्रवाई के आरोप लगाए था। साथ ही उन्होंने कहा था कि यह विपक्ष को निशाना बनाने का हथियार बन रहा है। उनके आरोप थे कि एथिक्स कमेटी ने सभी नियम तोड़े हैं। उन्होंने कहा था कि जब कमेटी की रिपोर्ट ली गई, जब उन्हें सफाई पेश करने का मौका ही नहीं मिला। महुआ का कहना था कि उन्हें पूर्व साथी से आमने-सामने सवाल करने का मौका नहीं दिया गया।
खास बात है कि 2 दिसंबर को महुआ को एथिक्स कमेटी के सामने पेश होने के लिए भी कहा गया था, लेकिन वह कमेटी पर आरोप लगाते हुए बाहर आ गईं थीं। उन्होंने बाहर आकर कमेटी पर ही गलत सवाल पूछने के आरोप लगाए थे। उस दौरान कमेटी का ही हिस्सा रहे सांसद दानिश अली भी महुआ के समर्थन में उतर आए थे।
गौरतलब हो कि, महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता समाप्त करने के निर्णय पर जदयू ने भी कड़ा ऐतराज जताया था। जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने शनिवार को कहा कि टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के मामले में न तो एथिक्स कमेटी ने और ना ही लोकसभा की कार्यवाही के दौरान सदन में उनकी बातों को सही तरीके से सुना गया। उन्होंने कहा कि न्याय की प्रकृति है कि अगर किसी पर आरोप लगाया जाता है तो उसे भी सुना जाए। लेकिन महुआ मोइत्रा के मामले में ऐसा नहीं हुआ। उनके पक्ष को न तो कमेटी ने और ना ही सदन में सुना गया।