N4N DESK : पैसों के खेल के चलते देश में तकनीकी शिक्षा का बंटाधार हो
रहा है। अब जब जीरो नम्बर लाने वाले छात्र भी डॉक्टरी की पढ़ाई करेंगे तो वे इलाज
क्या खाक करेंगे। 2017 में नीट की परीक्षा में 110 छात्रों को केमेस्ट्री और
फिजिक्स में जीरो नम्बर मिले । 400 छात्रों को फिजिक्स और केमिस्ट्री में 10 से भी
कम नम्बर मिले। बाद में उनका निजी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन हो गया। हाल ही में एक अध्ययन के सामने आने के बाद इस तथ्य का
खुलासा हुआ है।
पहले नीट में हर विषय में कम से कम 50 नम्बर लाना अनिवार्य
था। आरक्षित वर्गों के लिए हर विषय में 40 फीसदी अंक लाना जरूरी था। 2012 में
पर्सेंटाइल व्यवस्था लागू कर दी गयी। हर विषय में 50 फीसदी नम्बर लाने की
अनिवार्यता खत्म कर दी गयी। इस फैसले से मेडिकल की पढ़ाई मजाक बन कर रह गयी।