पटना/दिल्ली. इन दिनों तेज बारिश, भूस्खलन जैसी आपदाओं के कारण हिमाचल प्रदेश में भीषण हाहाकार मचा है. लेकिन हिमाचल के मुख्यमंत्री इन आपदाओं में हुए जान-माल के नुकसान की एक वजह बिहारी लोगों को बता रहे हैं. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक साक्षात्कार में बिहारी लोगों पर अपमानजनक टिप्पणी की है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बाहर से आर्किटेक्ट राज्य में आ रहे हैं और वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग किए बिना, फर्श पर फर्श का निर्माण कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, "प्रवासी आर्किटेक्ट (राजमिस्त्री), जिन्हें मैं 'बिहारी आर्किटेक्ट' कहता हूं, यहां आते हैं और फर्श पर फर्श बनाते हैं। हमारे पास स्थानीय राजमिस्त्री नहीं हैं।" हालांकि, अब इस पर विवाद शुरू हो गया है।
सुक्खू अब अपने इस बयान पर बुरी तरह फंसते नजर आ रहे हैं. हिमाचल की सरकार के मुखिया का यह बयान भाजपा के नेताओं को रास नहीं आया है. यहां तक कि केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी सीएम को नसीहत दे डाली है कि वे आपदा के समय ऐसी अपमानजनक बयानबाजी ना करें. बिहार के लोगों के ऊपर टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण व अकारण बताते हुए ठाकुर ने कहा, "आपदा के समय हमें आपस में मिलकर काम करना चाहिए। टीका टिप्पणी करने से काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों को बिना कारण इसमें घसीटना और उन को अपमानित करना ठीक नहीं है।" ठाकुर ने सभी राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों को राहत और बचाव कार्य में एक साथ आने का आवाहन करते हुए कहा, "हम सभी मिलकर एक दूसरे की मदद करें। मेरा हिमाचल के माननीय मंत्रीगणों से भी आग्रह है कि अलग-अलग भाषा और अलग-अलग सुर में बोलने से बचें और राहत कार्य पर ध्यान लगाएं।"
वहीं बिहार सरकार में मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि कोई मज़दूर या राज मिस्री उसका क्या काम है, उन्हें जानकारी नहीं है। मज़दूर और राज मिस्त्री से मकान का नक़्शा बनवाते हैं? मुख्यमंत्री हैं तो इतनी समझ तो होनी ही चाहिए कि अगर कोई निर्माण गिरता है तो उसके लिए सामान और डिज़ाइन की गलती होती है। हमारे मजदूर तो वहां जाकर ज़बरदस्ती काम करने नहीं जाते हैं। लोग क्या-क्या प्रलोभन देकर ले जाते हैं। मुख्यमंत्री जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए।
हालांकि मामला बढ़ने के बाद अब मुख्यमंत्री ने सफाई भी दी है। उन्होंने कहा कि मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा। यहां बिहार के लोग भी फंसे हुए थे। मैंने उन्हें हेलीकॉप्टरों से निकलवाया। बिहार के करीब 200 लोग अभी भी यहां फंसे हुए हैं। वे हमारे भाई जैसे हैं। यह हमारी स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की गलती है, वे तो सिर्फ मजदूर हैं। सुक्खू ने अंधाधुंध निर्माण और पहाड़ियों के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके प्रभाव के मुद्दे पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कई नवनिर्मित इमारतों में वैज्ञानिक योजना और जल निकासी प्रणालियों की अनुपस्थिति के कारण उनकी अस्थिरता पैदा हुई है।