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नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर है बेहद खास, 455 एकड़ में 24 बड़ी इमारत, 221 संरचनाएं, 1749 करोड़ से निर्माण, मोदी-नीतीश की बड़ी सौगात

नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर है बेहद खास, 455 एकड़ में 24 बड़ी इमारत, 221 संरचनाएं, 1749 करोड़ से निर्माण, मोदी-नीतीश की बड़ी सौगात

पटना. विश्व के सर्वोत्तम विश्वविद्यालय में शामिल रहा बिहार का नालंदा विश्वविद्यालय एक बार फिर से नए युग में नई गरिमा के साथ अवलोकित हो रहा है. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के वैभव को पुनः स्थापित करने की पहल के तहत नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैम्पस का बुधवार को उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में किया गया है. नालंदा विश्वविद्यालय को उसके स्वर्णिम इतिहास की तरह ही सजाया गया है. नए परिसर का निर्माण 455 एकड़ के विशाल भूखंड पर किया गया है. राजगीर की पंच पहाड़ियों में शुमार वैभारगिरि की तलहटी में नए नालंदा विश्वविद्यालय का निर्माण हुआ है. 

नए कैंपस में हर प्रकार की सुविधाएँ हैं जो शैक्षणिक, शोध, निर्माण, ध्यान, स्वास्थ्य आदि की व्यवस्था है. नए कैंपस में कुल 24 बड़ी इमारत, 450 क्षमता का निवास हॉल, महिलाओं के लिए तथागत निवास हॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स व फूड कोर्ट, 40 हेक्टेयर में जलाशय, अखाड़ा, ध्यान कक्ष, 300 क्षमता का ऑडिटोरियम, योग परिसर, स्पोर्ट्स स्टेडियम, एथलेटिक ट्रैक के साथ आउटडोर स्पोर्ट्स स्टेडियम, व्यायामशाला, अस्पताल, पारंपरिक आहर-पइन जल नेटवर्क, सोलर फार्म आदि हैं. 

455 एकड़ में फैले नालंदा विश्वविद्यालय के निर्माण पर 1749 करोड़ रूपये खर्च हुए हैं. नए परिसर में 2 शैक्षणिक ब्लॉक होंगे. 1900 छात्रों के बैठने की क्षमता है. 550 छात्र की क्षमता वाले हॉस्टल हैं. 2000 लोगों की क्षमता वाला एम्फीथिएटर है. 3 लाख किताब की क्षमता वाली लाइब्रेरी है. नेट जीरो ग्रीन कैंपस है. विश्वविद्यालय की कल्पना भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन देशों के बीच संयुक्त सहयोग के रूप में की गई है. यह दुनिया का सबसे बड़ा नेट जीरो कार्बन कैम्पस है. यह परिसर कॉम्प्लैक्स सोलर प्लांट, घरेलू और पेयजल ट्रीटमेंट प्लांट, बेकार पानी रो दोबारा इस्तेमाल करने के लिए एक वॉटर रिसाइक्लिंग प्लांट, 100 एकड़ वॉटर यूनिट और कई अन्य पर्यावरण-अनुकूल सुविधाओं के साथ आत्मनिर्भर है.

सालों पहले खाक में मिला दी गई नालंदा विश्वविद्यालय की भव्य इमारत 800 सालों बाद फिर बोल उठी हैं. मोहम्मद बख्तियार खिलजी ने 1199 में नालंदा विश्वविद्यालय को न केवल ध्वस्त कर दिया था, बल्कि उसमें आग भी लगा दी थी. इसकी लाइब्रेरी में रखी लाखों किताबें महीनों तक उस आग में धधकती रहीं. लेकिन अब उसी विश्वविद्यालय को फिर से पुराने वैभव के तहत विकसित किया गया है. नालंदा विश्वविद्यालय 19 जून 2024 को एक बार फिर से अंतर्राष्ट्रीय फलक पर अपनी विशिष्ट पहचान कायम कर रहा है. 



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