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DGP सिंघल से 'रौब' में बात करता था 'नटवरलाल', बेचारे डीजीपी सर...सर कहते रहे, वह नाराज होता तो टाईम लेकर कॉल भी करते थे साहब

DGP सिंघल से 'रौब' में बात करता था 'नटवरलाल', बेचारे डीजीपी सर...सर कहते रहे, वह नाराज होता तो टाईम लेकर कॉल भी करते थे साहब

PATNA: गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार का खास नटवरलाल अभिषेक अग्रवाल बिहार के डीजीपी एस.के. सिंघल से पूरे रौब में बात करता था. चीफ जस्टिस संजय करोल का छद्म रूप धारण कर फ्रॉड अभिषेक मोबाइल नंबर 97093 03397 से नॉर्मल एवं व्हाट्सएप कॉल कर डीजीपी पर दबाव बनाया था। फोन पर बातचीत में डीजीपी उसे सर... सर... कह कर संबोधित करते थे .डीजीपी को विश्वास हो गया था वो बिहार के मुख्य न्यायाधीश से बात कर रहे हैं. पूछताछ में आईपीएस अधिकारी के खास ने बताया कि पुलिस मुख्यालय से उनका काम हो गया. मामले के खुलासे के बाद ईओयू ने आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार को नंबर-1 अभियुक्त बनाया है। पूर्व एसएसपी समेत पांच अभियुक्तों के खिलाफ धारा-353 387 419 420 467 468 और 120 बी आईपीसी और आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है.

नटवरलाल नाराजगी दिखाता तो डीजीपी समय लेकर फोन करते 

आर्थिक अपराध इकाई के डीएसपी भाष्कर रंजन के बयान पर केस दर्ज किया गया है। आवेदन में कहा गया है कि नटवरलाल अभिषेक अग्रवाल ने डीजीपी को विश्वास दिला दिया कि वह चीफ जस्टिस ऑफ़ बिहार हैं. इसी दौरान आईपीएस आदित्य कुमार द्वारा फ्रॉड अभिषेक को पुलिस मुख्यालय के कई गोपनीय दस्तावेज भी उपलब्ध कराए .नटवरलाल अभिषेक अग्रवाल डीजीपी से नाराजगी भी दिखाता था. इसके बाद एसके सिंघल उसे सर... सर... कह कर संबोधित करते थे. साथ ही वह मोबाइल पर व्हाट्सएप के माध्यम से समय लेकर कॉल भी किया.

डीएसपी भाष्कर रंजन के बयान पर केस 

आर्थिक अपराध इकाई के पुलिस उपाधीक्षक भास्कर रंजन ने एसपी को दिए आवेदन में इस बात का जिक्र किया है. कहा गया है कि विश्वसनीय गुप्त सूचना के आधार पर जांच की गई. इसके अलावे पुलिस महानिदेशक स्तर से भी एक प्रतिवेदन प्राप्त हुआ, जिसमें 9709303397 मोबाइल के बारे में जिक्र किया गया . साथ ही उसके धारक को मुख्य न्यायाधीश पटना बताया गया. अभिषेक अग्रवाल ने पूछताछ में बताया कि उनके करीबी अधिकारी आईपीएस आदित्य कुमार हैं, जो पहले गया के एसएसपी रहे थे. वर्तमान में पटेल भवन पुलिस मुख्यालय में पदस्थापित हैं. इन्हें 4 सालों से जानते हैं. हाल ही में मुख्यालय स्तर पर इनके विरुद्ध शराब संबंधित केस खत्म हो गया है. इसे खत्म कराने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी.आदित्य कुमार की गया में वरीय पुलिस अधीक्षक के रूप में पोस्टिंग के दौरान उनका तत्कालीन आईजी अमित लोढ़ा से विवाद चल रहा था, और वह इन्हें फंसाना चाहते हैं.

फिर से एसपी में पोस्टिंग की थी तैयारी 

आगे अभिषेक अग्रवाल कहता है कि आदित्य कुमार ने मुझसे सलाह एवं सहयोग मांगी. निर्णय हुआ कि हाई कोर्ट के जज के नाम पर यदि डीजीपी को कहा जाए तो उनका प्रोसिडिंग खत्म हो सकता है. फिर किसी जिले में उनका पदस्थापन हो सकता है. इसके बाद बोरिंग रोड के बरिस्ता रेस्टोरेंट में कई दफे बैठक की. दोनों ने मिलकर एक सुनियोजित योजना तैयार की. जिसके तहत संजय करोल पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस का रूप धारण कर व्हाट्सएप कॉल या नॉर्मल कॉल के माध्यम से डीजीपी को झांसा देकर अपने प्रभाव में लिया जा. साथ ही उनसे आदित्य कुमार के हित में प्रशासनिक निर्णय लेने के लिए बाध्य किया जाए. इसी सुनियोजित योजना के तहत अभिषेक अग्रवाल ने कई दफे डीजीपी को संजय करोल का रूप धारण कर मोबाइल नंबर 96093 03397 से फोन किया गया. 

इन धाराओं में दर्ज हुआ केस 

ईओयू थाने में दर्ज केस में आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार को नंबर वन अभियुक्त बनाया गया है. इसके अलावा अन्य चार अभियुक्त हैं. इन सभी के खिलाफ धारा 353 387 419 420 467 468 और 120 बी आईपीसी और आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है.

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