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नीतीश को नवीन पटनायक ने फिर से दिया झटका, विपक्षी एकता की मुहिम में नहीं शामिल होंगे 4 दल

नीतीश को नवीन पटनायक ने फिर से दिया झटका, विपक्षी एकता की मुहिम में नहीं शामिल होंगे 4 दल

पटना. नए संसद भवन के उद्घाटन का देश के 20 विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया है. विपक्षी दलों के इस निर्णय से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उस पहल को भी बल मिला है जिसमें वे विपक्ष को मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट करने की मुहीम चला रखे हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि नीतीश की मुहिम में कई विपक्षी दलों को रूचि नहीं है. नए संसद भवन के उद्घाटन में शामिल होने वाले दलों की सूची देखकर यह स्वतः प्रकट होता है. एक तरीके से बनने के पहले ही नीतीश की विपक्षी एकता की पहल को कई दलों ने झटका दे दिया है. 

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल (बीजद)  नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होगी. 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करने वाले हैं. दरअसल नीतीश ने विपक्ष को एकजुट करने की अपनी मुहीम में नवीन पटनायक से भुवनेश्वर में मुलाकात की थी. नीतीश को उम्मीद थी कि नवीन पटनायक उनके साथ आएंगे. लेकिन संसद के उद्घाटन समारोह में शामिल होने का ऐलान कर बीजद ने नीतीश की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. 

एक ओर जहाँ 20 विपक्षी पार्टियों ने कार्यक्रम का बहिष्कार किया है. वहीं, अकाली दल, जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP और बसपा ने भी समारोह में हिस्सा लेने का फैसला किया है. बसपा प्रमुख मायावती से अभी तक नीतीश ने मुलाकात नहीं की है. अब बसपा का उद्घाटन समारोह जाने का फैसला यह बता रहा है कि आगे भी मायावती का नीतीश कुमार की पहल में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है. वहीं अकाली दल और वाईएसआरसीपी पहले से एनडीए में शामिल रहे हैं. हालांकि मौजूदा समय में वे इससे बाहर हैं. ऐसे में उनका विपक्ष के साथ नहीं आना भी नीतीश को एक झटका ही है. 

दरअसल, विपक्ष की मांग है कि उद्घाटन प्रधानमंत्री की जगह राष्ट्रपति से कराया जाए. इसे लेकर नीतीश की पार्टी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा इतिहास को बदलने की कोशिश की जा रही है. इसलिए जदयू सहित कई अन्य विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार करने का फैसला किया है. हम उनके इतिहास बदलने में भागीदार नहीं बनेंगे.  

वहीं बीजद ने कहा है कि वह नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होगी. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सस्मित पात्रा ने कहा, "बीजद का मानना है कि ये संवैधानिक संस्थाएं किसी भी मुद्दे से ऊपर होनी चाहिए. आपसी मतभेद के मुद्दों पर बाद में बहस हो सकती है. बीजद इस महत्वपूर्ण अवसर का हिस्सा होगा. राष्ट्रपति भारत के प्रमुख हैं. संसद देश के 140 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करती है. दोनों संस्थान भारतीय लोकतंत्र के प्रतीक हैं. इन्हें संविधान से अधिकार मिला हुआ है. उनके अधिकार और कद की हमेशा रक्षा की जानी चाहिए.


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