NALANDA : उसके एक हाथ में कलाई नहीं है, जिसके कारण वह हॉकी प्लेयर नहीं बन पाई, लेकिन इसके बाद भी उसने हार नहीं मानी और एथलेटिक्स में अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया। जहां उसे सफलता मिली। यह कहानी है नालंदा जिले के इमामगंज की रहनेवाली नेहा कुमारी की। जिसने 13वीं जूनियर- सब जूनियर नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। उन्होंने जूनियर TF-47 वर्ग की लॉन्ग जंप स्पर्धा में यह उपलब्धि हासिल की है।
जन्म से नहीं है हाथों में अंगुलियां
नेहा ने बताया कि जन्म से ही उनकी कलाई तक हाथ है। उनके हाथ में पंजा नहीं है। उनके बाएं हाथ की अंगुलियां मां के गर्भ में ही नहीं निकली थी। बचपन से हॉकी प्लेयर बनने का सपना लिए एक हाथ में अंगुलियां न होने के बावजूद वह डिस्ट्रिक्ट और स्टेट लेवल तक हॉकी खेली। लेकिन, नेशनल में कुछ रूल की वजह से उन्हें नहीं खेलने दिया गया था। उन्हें मेडिकल में ही छांट दिया गया। फिर नेहा की मुलाकात कोच कुंदन कुमार पांडे से हुई। उन्होंने देखा कि नेहा एथलेटिक्स में काफी अच्छा कर रही है। फिर उन्होंने नेहा को अपने अंडर ट्रेनिंग में सभी चीज़ें सिखाई।
शारीरिक कमी पर हंसते थे रिश्तेदार
17 वर्षीय नेहा के पिता एक किसान हैं। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण नेहा को काफी परेशानी हुई। उन्होंने बताया कि रिश्तेदार और आस-पास के लोग उनकी शारीरिक कमी पर हंसते थे और ताना भी मारते थे। वे कहते थे, 'क्या कर पाएगी, इसके तो हाथ भी नहीं है।' जब वह प्रैक्टिस करने भी जाती थी तो लोग कहते थे की 'क्या ही कर लेगी, बस दिनभर आते जाते ही रहती है।' पर नेहा ने उन सभी बातों को अनसुना करते हुए बस अपने खेल पर फोकस किया और आज उनके गाले में चमचमाता मेडल उनकी मेहनत का गवाह है।