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न्यूज4नेशन की खबर का असर, परिवहन मंत्री ने फर्जीवाड़े पर लिया संज्ञान

न्यूज4नेशन की खबर का असर, परिवहन मंत्री ने फर्जीवाड़े पर लिया संज्ञान

PATNA : परिवहन विभाग में हुए बड़े फर्जीवाड़े पर बिहार के परिवहन मंत्री संतोष निराला ने संज्ञान लिया है। मंत्री ने मामले को गंभीर बताया है और कहा है कि वे इस मामले की जांच करायेंगे। किसी को गड़बड़ी करने की छूट नही मिलेगी। विभागीय जांच मे जो भी दोषी होगें उनपर कार्रवाई होगी। मंत्री संतोष निराला ने न्यूज4 नेशन से सबूत के तौर पर कागजात भी लिए हैं। 

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क्या था फर्जीवाड़ा
पटना परिवहन विभाग में बिना अधिकारी के आदेश और गाड़ी की जांच किये  20 हजार से अधिक वाहनों का निबंधन कर दिया गया है। हैरत की बात यह है कि निबंधन के लिए ना तो MVI ने वाहन फिटनेस सर्टिफिकेट दिया और ना DTO ने वाहन का निबंधन पत्र जारी करने का आदेश दिया। परिवहन विभाग के पटना कार्यालय में यह खेल पिछले कई सालों से चलाआ रहा है। बावजूद इसके अधिकारी चुप्पी लगाए बैठे रहे। 

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न्यूज4नेशन को जो कागजात हाथ लगे हैं उससे डीटीओ कार्यालय की पोल खुल गई है। पटना के डीटीओ कार्यालय से BR01-DJ और BR01-DR सिरीज़ में हजारों RC बिना अधिकारी की अनुमति के जारी हुआ है। यह खेल पिछले कई सालों से चला आ रहा है और लगातार जारी है। न्यूज4नेशन के हाथ जो कागजात लगे हैं उसमें DJ नं सीरीज के 8390,8381,8385,8387,8388,8371,8379,8375,8389,8378,8373,8377 सहित कई नंबर बिना अनुमति के हीं जारी किए गए हैं। जानकारों का कहना है कि DJ सीरीज में लगभग 9000 नंबर के कागजात पर एमवीआई और डीटीओ ने हस्ताक्षर नही किए। यानी बिना आदेश के ही परिवहन कर्मियों की मिलीभगत से गाड़ियों का निबंधन पत्र जारी कर दिए गए।

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क्या है नियम
वाहन एजेंसी बेंचे गए वाहन का पूरा कागजात डीटीओ कार्यालय में जमा करता है। इसके बाद डीटीओ के आदेश से एमवीआई कागजात का सत्यापन करते हैं। सत्यापन सर्टिफिकेट जारी होने के बाद डीटीओ उक्त गाडी का निबंधन पत्र (RC) जारी करने का आदेश देते हैं। तब जाकर किसी गाडी का निबंधन होता है ।

कागजात पर साईन नहीं करने के पीछे का खेल
निबंधन पत्र के कागजात पर अधिकारी के साईन न करने के पीछे बड़ा खेल होता है। दरअसल रजिस्ट्रेशन के नाम पर परिवहन कार्यालय में बड़ा गोरखधंधा होता है। इसमें कार्यालय के कर्मी और दलाल की मिलीभगत से बड़ी राशि की उगाही होती है। इस काम में स्थानीय DTO का संरक्षण होता है। अधिकारी अपने को बचाने के लिए कागजात पर साईन नही करते। अधिकारी सोंचते हैं कि अगर कभी जांच हुई भी तो अपने मातहत कर्मी के सर ठीकरा फोड़कर बच निकलेंगे।

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