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भ्रष्ट सरकारी बाबुओं के खिलाफ नीतीश सरकार की कार्रवाई से मचा है हाहाकार, लेकिन क्या भ्रष्टाचार से मुक्त होगा बिहार

भ्रष्ट सरकारी बाबुओं के खिलाफ नीतीश सरकार की कार्रवाई से मचा है हाहाकार, लेकिन क्या भ्रष्टाचार से मुक्त होगा बिहार

पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले बिहार में पिछले डेढ़ दशकों में अपराध नियंत्रण के मामले में भले राज्य की छवि बदली हो लेकिन इसके उलट राज्य में भ्रष्टाचार का जकड़न बढ़ गया है. राज्य के सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार को लेकर आए दिन कई प्रकार की शिकायतें सामने आती हैं. यहाँ तक कि राज्य में सत्तासीन दलों के नेता भी कई बार सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार पर चिंता जाहिर कर चुके हैं. इंडिया करप्शन सर्वे 2019 की  रिपोर्ट में भी कहा गया था कि भ्रष्टाचार के मामले में राजस्थान प्रथम स्थान पर है जबकि बिहार दूसरे और झारखण्ड तीसरे स्थान पर है.  रिपोर्ट में कहा गया था कि बिहार के 75 प्रतिशत लोगो का मानना है कि सरकारी काम कराने के लिए उन्हें रिश्वत देना पड़ता है. हालाँकि यह स्थिति बीतते वर्षों के साथ भी नहीं बदली और 2020 और 2021 में भी बिहार में सरकार काम के लिए रिश्वत देने की शिकायतें उसी अनुरूप में रही हैं. 

भ्रष्टाचार को लेकर लगातार मिलती शिकायतों के बीच पिछले साल बिहार सरकार ने भ्रष्ट सरकारी बाबुओं के खिलाफ कुछ सख्ती दिखाई. बिहार सरकार के करप्शन पर प्रहार का नतीजा रहा कि राज्य में भ्रष्ट लोक सेवकों और अधिकारियों की शामत आती दिखी.  निगरानी विभाग, विशेष निगरानी यूनिट और आर्थिक अपराध इकाई की ओर से पिछले 3 महीने में लगभग 20 सरकारी अफसरों के ठिकानों पर छापेमारी की गई. इसमें 600 करोड़ की अवैध संपत्ति जब्त की गई है.


मात्र 20 सरकारी बाबुओं से 600 करोड़ रुपए की सम्पत्ति जब्त होने का आंकड़ा यह दर्शाता है कि राज्य में भ्रष्टाचार की क्या स्थिति है. यह उन आरोपों को भी साबित करता है कि राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है. जिन  20 लोक सेवकों के खिलाफ कार्रवाई हुई उनमें कुलपति, मंत्री के आप्त सचिव, जेलर, डीटीओ, एसपी, एसडीपीओ, थाना प्रभारी, कार्यपालक अभियंता, सीओ जैसे अधिकारी शामिल रहे. इनमें से 19 में से 5 के पास से ही 300 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का पता चला है. 

ऐसे में अब नए साल में नीतीश सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ क्या इसी प्रकार से अपना प्रहार जारी रखती है यह देखने वाली बात होगी. नीतीश सरकार की छवि को सबसे ज्यादा नुकसान भी राज्य में अफसरशाही और भ्रष्टाचार से हुआ है. अब बिहार सरकार ने भ्रष्ट सरकारी बाबुओं के खिलाफ जो रुख अख्तियार कर रखा है उससे आम नागरिकों की बड़ी उम्मीद जगी है. अगर सरकार का यही रुख रहा तो इस साल भी बिहार में करप्शन पर प्रहार होता दिख सकता है. जांच और छपे अगर इसी तरह चले तो राज्य में सैकड़ों की संख्या में और भ्रष्ट अधिकारियों की पोल खुल सकती है. 



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