पटना: नीतीश कुमार को सुशासन बाबू कहा जाता है लेकिन बढ़ते अपराध, पुल ढ़हने की बढ़ते मामलों को लेकर विपक्ष ने सुशासन पर प्रश्न खड़ा करना शुरु कर दिया है. राज्य में बढ़ते अपराध और ताश के पत्तों की तरह बिखरते पुल को विपक्ष के नेताओं ने मुद्दा बना दिया है, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने तंज कसते हुए कहा कि 'नीतीश कुमार की ईमानदारी से तंग आ कर पुल खुद ही आत्महत्या कर रहे हैं.' सिवान, छपरा, मधुबनी, किशनगंज, मोतिहारी और अररिया में पुल ढह गए. पुल ढ़हने की खबरों और नेता प्रतिपक्ष के आराप से आहत सीएम नीतीश अपने पुराने रुप में दिखने लगे है
विपक्ष के आरोप से तिलमिलाए नीतीश कुमार ने पुल गिरने को लेकर समीक्षा बैठक की. बैठक में नीतीश काफी सख्त नजर आए. अधिकारियों को निर्देश दिया कि ग्रामीण कार्य विभाग शीघ्र मेंटेनेंस नीति बनाए. पथ निर्माण के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत,ग्रामीण कार्य विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह को सख्ती से निर्देश देते कहा कि पुलों के रख रखाव के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया तैयार कर सभी पुलों का नियमित निरीक्षण भी सुनिश्चित कराएं .आवागमन को ले कर नए पुल या पथ की जरूरत है तो उसे भी प्राथमिकता के साथ बनाएं .
सीएम यहीं नहीं रुके उन्होंने ऑडिट टीम बनाने की घोषणा की है. ताकि पुल के गिरने का कारण जान कर एहतियात बरता जाए और दोषियों को दंडित किया जाए.
मुख्यमंत्री नीतीश ने भूमि सर्वेक्षण में हो रही देरी पर भी गुस्सा जताया . उन्होंने मुख्य सचिव ब्रजेश मल्होत्रा की क्लास लगा दी. सीएम ने कहा कि भूमि सर्वेक्षण का काम दिसंबर 2020 को पूरा होना था. आज 2024 आधा पार कर चुका है. सीएम ने अल्टीमेटम देते कहा कि 2025 तक हर हाल में भूमि सर्वेक्षण का कार्य हो जाना चाहिए.सीएम नीतीश ने कहा कि 'हाथ जोड़ कर कह रहा हूं, जमीन सर्वेक्षण का काम पूरा करा ले. पैर पकड़ने को कहेंगे तो पैर भी पकड़ लेंगे.'
बिहार में लॉ एंड ऑर्डर हमेशा से राजनीतिक मसला रहा है. सीएम नीतीश ने बिहार में अपराध, भ्रष्टाचार, बालू-जमीन-शराब माफिया राज को खत्म करने के लिए सख्त कानून बनाया. अपराधियों पर नकेल कसने को लेकर पुलिस प्रशासन को हड़का चुके हैं.