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गया में लगनेवाले पितृपक्ष मेले पर संशय बरकरार, सरकार के फैसले के इन्तजार में पंडा समाज

गया में लगनेवाले पितृपक्ष मेले पर संशय बरकरार, सरकार के फैसले के इन्तजार में पंडा समाज

GAYA : विश्व प्रसिद्ध मोक्ष की नगरी गया में हर साल लगनेवाले पितृपक्ष माह में देश विदेश से लाखों की संख्या में सनातन संस्कृति व धर्मावलंबियों का आगमन होता था और अपने पितरों के उद्धार के लिए व मोक्ष के लिए पिंडदान व तर्पण करते थे. साथ हीअपने पितरों को मोक्ष की प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना करते थे. इससे गया शहर में लोगों की चहलकदमी बढ़ जाती थी और एक अलग ही नजारा देखने को मिलता था. लेकिन उस नजारे पर विगत कुछ वर्षों से एक महामारी का ऐसा असर पड़ा है कि सब कुछ वीरान हो गया है. जिसका सीधा असर जनजीवन पर देखने को मिल रहा है. 

हम आपको बता दे कि पूरे विश्व मे कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण को लेकर वर्ष 2020 में सम्पूर्ण भारत मे लॉक डाउन कर दिया गया था. ताकि किसी भी तरह के कोई भी सामुहिक कार्य का आयोजन नही किया जाए और नही किसी भी तरह का कोई भी कार्यक्रम को आयोजित किया जा सके. जिसको लेकर विगत वर्ष भी पितृपक्ष मेला का आयोजन नही किया गया था. वंही इस बार भी कोरोना महामारी को लेकर एक दुबिधा बानी हुई है. मेला के आयोजन पर संशय बरकरार है.क्योंकि बिहार सरकार के द्वारा अभी तक मेला के आयोजन का कोई भी दिशा निर्देश नही जारी किया गया है. जिसको लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. स्थानीय पंडा समाज के द्वारा जिला प्रशासन व सरकार से अनुमति देने का गुहार लगा रहे हैं. लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई भी सुगबुगाहट देखने को नही मिल रहा है. 

अनलॉक 6 में सभी बंद धार्मिक स्थलों को खोल दिया गया है और कोरोना के गाइड लाइन के साथ दिशा निर्देश का पालन करने का भी आदेश दिया गया था. जिसका पालन भी किया जा रहा है. कोरोना महामारी के चपेट में आने से देश विदेश में कितने लोगों मौत के काल मे चले गए. उन सभी के परिजन अपने परिवार में मृत व्यक्ति के मोक्ष प्राप्ति के लिए इस इंतजार में है कि कब पितृपक्ष मेला का आयोजन होगा और हम अपने परिवार के मृत आत्मा को मोक्ष के दिलाने के लिए गया जी जाएंगे. क्योंकि उनलोगों को भी बिहार सरकार के आदेश और घोषणा का इंतजार है. ताकि सरकार के गाइडलाइन के द्वारा अपने पितरों के मोक्ष की प्राप्ति की कामना कर सके. 

बहरहाल मोक्ष की नगरी गया जी मे पिछले साल तो आयोजन नही होने पर पंडा समाज के द्वारा अपने पितरों का पिंडदान व तर्पण का कार्य नहीं किया था. लेकिन इस बार अगर मेला का आयोजन नही होता है तो इसका असर कोरोना के असर से भी बहुत बड़ा हो सकता है. क्योंकि मेला के आयोजन से कई घरों के लोगो का जीवन यापन होता है जो पिछले साल से पूरी तरह से बंद है. मेला के आयोजन को लेकर एक आस लगाए हैं ताकि इस बार कुछ अच्छा हो सके. 

गया से मनोज कुमार की रिपोर्ट

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