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पटना हाई कोर्ट का पुलिस बर्बरता के खिलाफ बड़ा आदेश, सम्यागढ़ मामले की जांच करेगी CID

पटना हाई कोर्ट का पुलिस बर्बरता के खिलाफ बड़ा आदेश, सम्यागढ़ मामले की जांच करेगी CID

पटना. पटना उच्च न्यायालय ने जिले के सम्यागढ़ ओपी के पुलिसकर्मियों द्वारा 28 अक्टूबर को एक जाति विशेष के खिलाफ आधी रात को हुई बर्बरता वाले मामले को CID को सौंप दिया है. ग्रामीण पक्ष के अधिवक्ता कुमार शानू ने बताया कि कोर्ट ने मामले की जांच सीआईडी को सौपने कहा है. साथ ही पुलिस के हर बड़े-छोटे अधिकारी हो मामले से दूर रहने को कहा गया है. ज्ञात हो कि मामले में पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर पुलिसकर्मियों पर उन्हीं के थाने में एफ़आईआर दर्ज कर सम्यागढ़ से उन्हें हटाया गया था 

यह मामला पटना जिले के सम्यागढ़ ओपी क्षेत्र का है. मोकामा टाल के घोसवरी प्रखंड के सम्यागढ़ ओपी में पुलिस पर जातिगत दुर्भावना से ग्रसित होकर ग्रामीणों पर कार्रवाई करने का आरोप लगा था. इसी मामले में पटना हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में न्यायालय ने जातिगत दुर्भावना से ग्रसित आरोपी पुलिसकर्मियों पर तत्काल FIR दर्ज करने, उनका सम्यागढ़- मोकामा से तत्काल ट्रांसफर करने, और सम्यागढ़ निवासी तथा पीएमसीएच में पुलिस के अवैध क़ैद से दीपक को तत्काल मुक्त करने का आदेश दिया है.


घटना 28 अक्टूबर 2022 को हुई. उस समय 3 नवंबर 2022  को होने वाले मोकामा विधानसभा उपचुनाव के पूर्व सम्यागढ़ ओपी के अंतर्गत आने वाले कई नागरिकों को 107 का नोटिस तामील कराने के दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों में बहस हुई. कोलकाता से गांव में छठ मनाने आए इंजीनियर दीपक सिंह और एएसआई प्रमोद बिहार सिंह में मामूली बहस हुई. इससे सम्यागढ़ ओपी की पुलिस ने गांव के एक जाति विशेष के लोगों को निशाना बनाया. 

सुबह हुई इस घटना के बाद 28 अक्टूबर की रात करीब 150 पुलिसवालों ने दीपक के घर में जबरन प्रवेश किया. दीपक को छत से नीचे फेंक दिया और दीपक सहित दो अन्य लोगों को गिरफ्तार कर थाने ले आई. साथ ही कई ग्रामीणों के साथ मारपीट की. परिजनों के भारी विरोध के बाद दीपक को पुलिस ने उपचार के लिए ले जाने दिया. उसे वहां से पटना के पीएमसीएच लाया गया. वहीं एएसआई ने अपने आवेदन में 10 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया. 30-35 अज्ञात को अभियुक्त बनाया लेकिन अज्ञात के साथ यह भी लिखा कि सभी एक ही जाति से हैं. इससे पुलिस की मंशा पर सवाल उठे कि आखिर जब अभियुक्त अज्ञात हैं तो उनकी जाति पुलिस को कैसे पता चली.

17 नवंबर को जातिगत दुर्भावना से ग्रसित इस मामले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने गुरुवार को आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ तत्काल FIR दर्ज करने, उनका सम्यागढ़- मोकामा से तत्काल ट्रांसफर करने, और सम्यागढ़ निवासी तथा पीएमसीएच में पुलिस के अवैध क़ैद से दीपक को तत्काल मुक्त करने का आदेश दिया है. दीपक के अधिवक्ताओं ने मामले की जांच सीआईडी से कराने का पटना हाई कोर्ट से अनुरोध किया था, उसी के अनुरूप अब मामले की जांच सीआईडी को करने कहा गया है. 


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