पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खास रहे पवन वर्मा आज टीएमसी का दामन थाम लिया है. दिल्ली में पवन वर्मा ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है. वे पूर्व आईएफएस और जदयू के बड़े नेता रह चुके हैं. सीएए कानून बनन के दौरान उन्होंने पार्टी लाइन से अलग रुख अख्तियार कर लिया था. इसके बाद उन्हें जदयू से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. इस दौरान चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को भी जदयू से निकाल दिया गया था.
सीएए के दौरान हुई थी कार्रवाई
बता दें कि पवन वर्मा भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे हैं. वे सीएम नीतीश कुमार के करीबी माने जाते थे. उन्हें 2014 में राज्यसभा सदस्य बनाया गया था. वे 2016 तक जदयू के राज्यसभा सदस्य रहे. जब जदयू और भाजपा की करीबी हुई तो पवन वर्मा ने इसका विरोध किया था. नीतीश कुमार को उन्होंने पत्र लिखकर इससे रोका था. उसके बाद से पार्टी से उनकी दूरी बढ़ने लगी थी. इस बीच नागरिकता संशोधन अधिनियम बनाए जाने के दौरान पवन वर्मा ने पार्टी लाइन से अगल बयान दे रहे थे. इसको लेकर जदयू द्वारा पवन वर्मा पर कार्रवाई की गयी थी.
ममता राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय
बता दें कि बंगाल चुनाव में मिली जोरदार जीत के बाद ममता बनर्जी राष्ट्रीय राजनीति में भी काफी सक्रिय हो गई हैं. एंटी बीजेपी स्क्वाड बनाने की तैयारी में वे जोर-शोर से लगी हुई हैं. इस बीच ममता बनर्जी भाजपा समेत जदयू और कांग्रेस नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करा रही हैं. इस क्रम में आज वे जदयू नेता रहे पवन वर्मा और कांग्रेस के नेता कीर्ति झा आजाद को पार्टी की सदस्यता दिलाई है.