KATIHAR: कोरोना काल के दौरान अन्य प्रदेशों में रोजगार ठप होने के बाद पिछले साल भी बिहार में कटिहार में ही सबसे ज्यादा मजदूर घर लौट कर आए थे. प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, जो अब तक जारी है. इसी बीच मजदूर दिवस के शोर के बीच इस बार भी कोरोना काल के दौरान काम ठप होने से मजदूरों को घर लौटने का सिलसिला जारी है.
इन प्रवासी मजदूरों के लिए कोरोना जांच के साथ-साथ आगे की रोजगार सृजन भी बड़ी चुनौती है. पिछले साल के आंकड़े पर अगर यकीन करें तो लगभग 97 हज़ार मजदूर कोरोना बंदी के बाद कटिहार आए थे. हालांकि इस बार जिला प्रशासन के पास अब तक मजदूरो के लौटने के कोई आंकड़ा नहीं है. जहां तक रोजगार सृजन की बात है जिला विकास पदाधिकारी कहते हैं कि पिछले साल पचास प्रतिशत मजदूरों के लिए रोजगार सृजित किया हुआ है, जिसमें मनरेगा और जॉब कार्ड भी है.
इस संबंध में पदाधिकारी अरुण ठाकुर ने बताया कि साल 2020 में 97 हजार मजदूर अपने गृह जिले लौटकर आए, उन सभी का ऐप पर पंजीकरण किया और विभिन्न केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाया गया. गरीब कल्याण योजना में कई विभागों की योजना को मिलाकर कार्यान्वित किया गया. मनरेगा के तहत भी 25 हजार श्रमिकों का रजिस्ट्रशेन कराया गया. पिछले साल करीब 11,500 श्रमिकों को पिछले साल रोजगार उपलब्ध कराया गया.
इस साल की योजना को लेकर अरुण ठाकुर ने बताया कि पिछले साल के डाटा से मिलान कराया जाएगा. पिछले कुछ महीनों में कई मजदूर वापस गए. मगर अब कई लोग वापस भी आ रहे हैं. इस संबंध में हमारा अभियान शुरू हो गया है. ग्राम पंचायत स्तर पर सूची उपलब्ध करा दी गई है. इसमें इच्छुक लोगों का जॉब कार्ड बनाकर उनको काम दिलाया जाएगा. इसके अलावा मनरेगा की विभिन्न योजनाओं में भी प्रवासी मजदूरों को उनके हिसाब का काम उपल्बध कराया जाएगा. अलग अलग विभाग में उनका डाटा दिया जाएगा. जिससे हर क्षेत्र के श्रमिक को उनसे संबंधित रोजगार मिल सके.