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सच्चिदानंद ने अमित शाह को दिया साधुवाद, कहा- सीएम नीतीश के साथ हमेशा खड़ी रही है बीजेपी, अब जेडीयू भी दे भाजपा के संकल्पों का साथ

सच्चिदानंद ने अमित शाह को दिया साधुवाद, कहा- सीएम नीतीश के साथ हमेशा खड़ी रही है बीजेपी, अब जेडीयू भी दे भाजपा के संकल्पों का साथ

PATNA: बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सीएम नीतीश की अगुआई में ही 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ने वाले बयान को लेकर बिहार में सियासत तेज है। अमित शाह के बयान के बाद सीएम नीतीश और डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने भी एनडीए गठबंधन को अटूट बताया है। बीजेपी के एमएलसी सच्चिदानंद राय ने इसको लेकर अमित शाह को साधुवाद दिया है। सच्चिदानंद राय ने बीजेपी और जेडीयू की दोस्ती को अटूट बताते हुए कहा है कि बीजेपी जो कहती है वही करती है। बीजेपी बिहार की राजनीति में जेडीयू के साथ हमेशा खड़ी रही है। भले हीं जेडीयू ने एक बार हमारा साथ छोड़ दिया था।

सच्चिदानंद राय ने कहा कि 1996 से हमेशा समता पार्टी-जदयू को भाजपा ने बिहार में समर्थन दिया है। तब जदयू के नीतीशजी मुख्यमंत्री बने और उनकी ताकत बढ़ी। वर्ष 2013 में जदयू ने हमें छोड़ा था, बीजेपी ने उन्हें नहीं छोड़ा था। फिर जब 2017 में वह महागठबंधन में असहज हुए तो बिहार की जनता के हित में हमने उन्हें पुनः समर्थन दिया। दोस्ती को इस हद तक बढ़ाया कि उनके मात्र 2 सांसद होने के बावजूद 2019 के चुनाव में उनको बराबर सीटों पर लड़ने का अवसर दिया। मज़बूती से साथ में लड़े, 17 में 16 सीटें वह जीते। 


बीजेपी एमएलसी ने कहा कि यह सब अभी तक एकतरफा रहा है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश के नेता उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी जी सबने बार-बार कहा है कि हम नीतीश जी को 2020 अपना मुख्यमंत्री का उम्मीदवार मानते हैं, यह गठबंधन अटूट है। अब तो राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जी ने भी इसपर मुहर लगा दी है। इसमें किसी को कोई दिक्कत भी नहीं है। लेकिन जो बात इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है, वह है कि भारतीय जनता पार्टी अपने संकल्प पत्र में जिन प्रतिज्ञाओं को एक अरसे से लेकर चल रही है और इसमें कोई संदेह भी नहीं है कि 2019 का जनादेश नरेंद्र मोदी और बीजेपी के संकल्पों को लेकर ही आया था और एनडीए अगर 39 सीटें जीते हैं तो उसमें बीजेपी के संकल्पों का एक बहुत बड़ा योगदान रहा है। परंतु जदयू ने क्या किया? वह उन संकल्पों के विरोध में खड़े दिखे। दो जो महत्वपूर्ण मुद्दे थे, तीन तलाक और धारा-370 के हटाये जाने का मुद्दा, उस दोनों में जदयू ने अपनी डफली बजाया। अभी और दो मुद्दे हैं, NRC अधिनियम और सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल। अगर देश के सारे घुसपैठियों को 2024 से पहले देश से बाहर करना है तो इससे संकेत यही मिलते हैं कि दोनों अधिनियम तुरंत लाए जाएंगे, ताकि NRC को ठीक से अखिल भारतीय स्तर पर लागू किया जा सके। इसमें बीजेपी की अपेक्षा रहेगी कि जिस तरह से वह अपने वादे पर अडिग है, तो जदयू भी हमें इन विषयों पर समर्थन दे। 


सच्चिदानंद राय ने कहा कि यही होगी कसौटी, यही होगी जदयू की अग्निपरीक्षा। क्योंकि बिल्कुल सही बात है कि दो अलग-अलग दल है तो किसी-किसी मुद्दे पर हमारा मतभेद हो सकता है। जदयू ने दो विषयों पर अपना मतभेद दिखाया। चलिए हमने उसे स्वीकार भी कर लिया। लेकिन उनको हर मुद्दे पर , हमारे हर संकल्प पर मतभेद होगा तब तो जोड़ी बेमेल हो जाएगी। यह तो फिर चल नहीं पायेगा। उन्होंने कहा कि ये बड़ा भाई और छोटा भाई की लाइन थोड़े ही है। ये तो बराबरी की बात है। इसमें कहीं बड़ा-भाई-छोटा भाई की बात नहीं है। माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़े, वहां बराबर सीटों पर लड़े। माननीय नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में विधानसभा लड़ेंगे तो तर्कसंगत यही है कि बराबर सीटों पर ही लड़ा जाना चाहिए। हालांकि जो भी नेतृत्व निर्णय लेगा वह कार्यकर्ताओं को मान्य होंगे। 

सच्चिदानंद राय ने कहा कि मैं बीजेपी के आम कार्यकर्ताओं के विचार को प्रकट कर रहा हूं। ये आम कार्यकर्ता का विचार है कि जदयू भी सहयोगी दल की तरह हमारे संकल्पों में हमारा साथ दे। बीजेपी की ओर से तो यह गठबंधन अटूट है। अब इस गठबंधन को अटूट रखना या नहीं यह जदयू पर है। अब गेंद जदयू के पाले में हैं। हमारी अपेक्षा रहेगी कि जदयू नेतृत्व गठबंधन हित और राष्ट्रहित में इस बार साथ खड़ी दिखेगी।

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