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SBI ने पीछे लिए कदम : प्रैग्नेंट महिलाओं को काम के लिए अयोग्य बतानेवाला आदेश लिया वापस, इस कारण लिया निर्णय

SBI ने पीछे लिए कदम : प्रैग्नेंट महिलाओं को काम के लिए अयोग्य बतानेवाला आदेश लिया वापस, इस कारण लिया निर्णय

DESK : प्रैग्नेंट महिलाओं को काम के लिए अयोग्य बतानेवाले भारतीय स्टेट बैंक की हवा निकल गई है। मामले में एक प्रैग्नेंट महिला की शिकायत के बाद जिस तरह से महिला आयोग ने इसे संज्ञान में लेकर बैंक प्रंबधन को नोटिस जारी किया था. उसके बाद बैंक को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा है। ऐसे में अब एसबीआई प्रबंधन ने उस सर्कुलर को वापस लेने की घोषणा की है। जिसमें तीन महीने से अधिक की गर्भवती महिला उम्मीदवारों को बैंक में नौकरी के लिए अयोग्य बताया गया है।

बैंक ने एक बयान में कहा कि जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए एसबीआई ने गर्भवती महिला उम्मीदवारों की भर्ती के संबंध में संशोधित निर्देशों को स्थगित रखने और मौजूदा निर्देशों को जारी रखने का फैसला किया है।

31 दिसंबर को जारी किया था विवादित सर्कुलर

एसबीआई के 31 दिसंबर के सर्कुलर में कहा गया है कि अगर गर्भावस्था 3 महीने से अधिक की है, तो उम्मीदवार को अस्थायी रूप से अयोग्य माना जाएगा और उसे बच्चे के जन्म के बाद 4 महीने के भीतर शामिल होने की अनुमति दी जा सकती है। एसबीआई के इस सर्कुलर को महिलाओं के साथ भेदभाव वाला बताया गया था, जिसमें महिला आयोग के पास शिकायत दर्ज कराई गई थी।

महिला आयोग ने दी ऐसी प्रतिक्रिया

इस सर्कुलर पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली महिला आयोग (DCW) ने 29 जनवरी को कहा कि बैंक की कार्रवाई भेदभावपूर्ण और अवैध प्रतीत होती है क्योंकि यह 'सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020' के तहत प्रदान किए जाने वाले मातृत्व लाभों के उलट है। आयोग द्वारा जारी नोटिस में कहा गया था कि लिंग के आधार पर भेदभाव करता है जो संविधान के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।


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