बिहार में सियासी उथल-पुथल के संकेत! तेजस्वी ने कैंसिल की विदेश यात्रा, नीतीश कुमार का क्या है नया प्लान? इनसाइड स्टोरी

बिहार में सियासी उथल-पुथल के संकेत! तेजस्वी ने कैंसिल की विद

PATNA-  क्या बिहार की सियासत में एक बार फिर बड़ा बदलाव होने वाला है? ये सवाल जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष से ललन सिंह के इस्तीफे के बाद  उठने लगा है. ललन सिंह के पद से विदा होते हीं सियासी गलियारों में अकटलों का बाजार तेज हो गया है.  राजनीति में कभी कुछ भी हो सकता है.  वहीं ललन सिंह अध्यक्ष पद से हटते हीं शुक्रवार को राबड़ी आवास पर सन्नाटा पसरा रहा. जदयू कार्यालय में पटाके फूट रहे थे तो नीतीश कुमार के जेडीयू अध्यक्ष बनते ही तेजस्वी यादव केतेवर भी बदले हुए दिखे.  शुक्रवार को तेजस्वोवी के चेहरे पर उत्साह और चमक नहीं दिखी. ललन सिंह के इस्तीफे के बाद तेजस्वी यादव विदेश दौरा रद्द कर दिया. डिप्टी सीएम 6 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के दौरे पर निकलने वाले थे. राजनीतिक जानकारों के अनुसार बदले सियासी समीकरण के बीच तेजस्वी ने अपना दौरा रद्द कर दिया है. तेजस्वी यादव का विदेशी दौरा रद्द होने के बाद सियासी गलियारों में कई चर्चाएं शुरू हो गई है.हालाकि तेजस्वी ने नीतीश कुमार के जेडीयू अध्यक्ष बनने पर  शुभकामनाएं दी. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि वह पहले भी जेडीयू अध्यक्ष रह चुके हैं.

तेजस्वी यादव ने कहा कि जिस तरीके से बिहार में महागठबंधन की सरकार चल रही है, उससे बीजेपी में बौखलाहट है. जब बिहार में महागठबंधन ने मिलकर चुनाव लड़ा था, तब बीजेपी को बुरी तरह से हरा दिया था. हमारे गठबंधन से बीजेपी के हाथ-पांव फुलने लगे हैं. यही कारण है कि बीजेपी के नेता बेफिजूल के बयान दे रहे हैं. तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को पार्टी के नए अध्यक्ष बनने पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पहले भी वह जेडीयू के अध्यक्ष रह चुके हैं.  

बता दें इससे पहले  शिक्षक नियुक्ति का श्रेय लेने के मामले में  लोकसभा चुनाव से पहले बने इंडिया अलायंस में तनाव के शुरुआती संकेत दिख रहे थे, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गठबंधन के प्रति कांग्रेस पार्टी की प्रतिबद्धता पर संदेह तो वाम दल की रैली में व्यक्त कर दिया था.  इंडिया अलायंस, जिसकी नींव नीतीश ने पटना से रखी थी, जिसमें 26 विभिन्न दलों के नेताओं ने भाग लिया था. इसके बावजूद उसमें नीतीश को भाव न मिलना इंडी गटबंदन की चौथी बैठक में कई कहानियों  को जन्म दे दिया .

बहरहाल तेजस्वी यादव के हाथ में कमान सौंपने का समय 2025 है. ये अभी दूर है. लेकिन, नीतीश कुमार के अरमानों का समय 2024 रास्ते में ही पड़ता है. 2025 से पहले 2024 आएगा. और कहा जा रहा कि अगर नीतीश कुमार के अरमानों के पंख 2024 में नहीं लगे तो फिर क्या होगा? क्या नीतीश कुमार अपने 'पलट' वाले दांव को अजमाएंगे या वास्तव में बिहार की कमान तेजस्वी को सौंप देंगे. बहरहाल समय ही बताएगा कि कौन दिल्ली की सरकार में और कौन बिहार में? लेकिन इतना तो तय है कि जदयू में सब कुठ ठीक नहीं चल रहा है. नीतीश ने पार्टी की बागडोर अपने हाथ में लेकर बहुत कुछ कह दिया है, समय के साथ इसका खुलासा भी हो जाएगा.