Desk: कोरोना संक्रमण के बीच प्रशासन का अमानवीय पहलू सामने आया है, जहां एक बेटा एंबुलेंस न मिलने पर करीब सवा दो किलोमीटर तक अपने पिता को ठेले पर रखकर भागता रहा. उसके रास्ते में कई बार बेरिकेटिंग भी आई. आलम ऐसा था कि वह कभी पिता को संभालता, तो कभी बेरिकेटिंग को हटाता. इस दौरान पुलिसकर्मी भी उसे मिले लेकिन किसी ने उसकी कोई मदद नहीं की. वहीं, अस्पताल में भी वो अपने बीमार पिता को लेकर डॉक्टरों के पास भागता रहा. लेकिन तब तक उसके पिता की मृत्यु हो गई थी.
ये दिल दहला देने वाला मामला कोटा के रामपुरा इलाके से सामने आया है. जहां फतेहगढ़ में हनुमान मंदिर के पास रहने वाले सतीश अग्रवाल अचनाक से बाथरूम जाते समय दमे के कारण अचेत होकर गिर गए. जिसके बाद जब उनके परिवार वालों को पता चला तो वो बेहद घबरा गए. उनकी पत्नी गायत्री और बेटे मनीष अग्रवाल ने 108 नंबर पर एंबुलेंस के लिए फोन किया.
परिवार वालों का आरोप है कि फोन करने के बाद भी डेढ घंटे तक कोई एंबुलेंस नहीं आई. जिसके बाद हारकर बेटे मनीष अग्रवाल ने एक ठेले पर पिता को लिटाया और एमबीएस अस्पताल की ओर निकल पड़ा. लगभग 2 किलोमीटर तक ठेले पर पिता को लिटाकर बेटा दौड़ता रहा. इस दौरान लॉकडाउन लगे होने की वजह से कई बार बेरिकेटिंग सामने पड़ी. जिसे वह खुद ही हटाकर अस्पताल के लिए आगे बढ़ा.
बेटे का आरोप है कि इस दौरान कई पुलिसकर्मी भी उसे मिले लेकिन किसी ने उसकी कोई मदद नहीं की. अमानवीयता की पराकाष्ठा तो तब हुई जब वह पिता को लेकर वह एमबीएस अस्पताल पहुंचा तो वहां भी डॉक्टरों ने इस कमरे से उस कमरे तक दौड़ाया. वह अपने पिता को लेकर डॉक्टरों के पास भागता रहा. लेकिन तब तक उसके पिता ने दम तोड़ दिया.