DESK. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सपने को पूरा करने की पहल की है. राजीव गांधी ने महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए जो सपना देखा था, वह अब पीएम मोदी के नेतृत्व में पूरा हो रहा है और इसके लिए कांग्रेस लोकसभा में लाये गए नारी शक्ति वंदन अधिनियम यानी महिला आरक्षण का समर्थन करेगी. लोकसभा में बुधवार को महिला आरक्षण को समर्थन देते हुए कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ये बातें कहीं.
उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण के लिए मेरे पति राजीव गांधी बिल लेकर आए थे, जो गिर गया था. सोनिया ने कहा कि कांग्रेस की मांग है कि बिल को फौरन अमल में लाया जाए. इससे पहले जातिगत जनगणना कराकर OBC महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जाए.
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, 'यह मेरे जीवन का भी एक भावनात्मक क्षण है। पहली बार स्थानीय निकाय चुनाव में महिलाओं का प्रतिनिधित्व तय करने के लिए संवैधानिक संशोधन मेरे जीवन साथी राजीव गांधी द्वारा लाया गया था। हालांकि वह राज्य सभा में सिर्फ 7 वोटों से हार गए थे' बाद में, पीएम पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने इसे राज्यसभा में पारित कर दिया। परिणामस्वरूप, हमारे पास स्थानीय निकायों के माध्यम से देश भर में 15 लाख निर्वाचित महिला नेता हैं। राजीव गांधी का सपना केवल आंशिक रूप से पूरा हुआ है .यह इस विधेयक के पारित होने के साथ पूरा हो जाएगा।"
सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस विधेयक का समर्थन करती है. विधेयक के पारित होने को लेकर हम खुश हैं लेकिन हमें चिंता भी है. मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं. भारतीय महिलाएं पिछले 13 साल से अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों का इंतजार कर रही हैं. अब उनसे कुछ साल और इंतजार करने को कहा जा रहा है। कितने साल? क्या भारतीय महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार उचित है? कांग्रेस की मांग है कि बिल को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए लेकिन जातिगत जनगणना भी कराई जाए और एससी, एसटी के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जाए और ओबीसी को भी उचित प्रतिनिधित्व मिले.
दरअसल, महिला आरक्षण विधेयक लागू होने के लिए बड़ा पेंच है. यह परिसीमन के बाद ही लागू होगा. परिसीमन इस विधेयक के पास होने के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर होगा. 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले जनगणना और परिसीमन करीब-करीब असंभव है. ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 में महिला आरक्षण लागू होना मुश्किल है. यह 2029 के लोकसभा चुनाव या इससे पहले के कुछ विधानसभा चुनावों से लागू हो सकता है. सोनिया गांधी ने इसी को लेकर अपनी मांग रखी कि महिलाएं कब तक धैर्य रखें. इसे तुरंत लागू किया जाए.