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घर 100 किलोमीटर दूर रहकर अपनी किस्मत के 'धागे' को मजबूत कर रही हैं अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र की महिलाएं

घर 100 किलोमीटर दूर रहकर अपनी किस्मत के 'धागे' को मजबूत कर रही हैं अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र की महिलाएं

GAYA : कभी नक्सली इलाके में अपनी जिदंगी गुजारनेवाली महिलाएं अब अपने पैरों पर खड़े होने के लिए तैयार हैं। वह न सिर्फ अपने घर से बाहर निकली हैं. बल्कि 100 किलोमीटर दूर रहकर सिलाई का प्रशिक्षण हासिल कर रही हैं. ताकि वह स्वरोजगार कर न सिर्फ अपने पैरों पर खड़े हो सके। साथ ही गांव की नक्सली छवि को भी खत्म करने में कामयाब हो सके।

दरअसल, गया में इन दिनों अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र इमामगंज डुमरिया के महिलाएं अपने इलाके से 100 किलोमीटर दूर रहकर सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। गया के पीएनबी के माध्यम से चलाए जा रहे आरसिटी में सभी को प्रशिक्षण दिया जा रहा है,आर सी टी के डायरेक्टर सुनील कुमार की कौशल नेतृत्व में सभी बच्चियों एवं महिलाओं को महिला ट्रेनर के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 

प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं महिलाओं ने बताया की पीएनबी आरसीटी की इस पहल से हमलोग काफी खुश हैं क्योंकि हमलोग को बिना शुल्क का ही सिलाई सिखाई जा रही है।क्योंकि कोरोना जैसे महामारी और लॉकडाउन कि वजह से हम और हमारे परिवार को आर्थिक मार झेलना पड़ा। लेकिन अब सिलाई सीखने के बाद अपने अपने गांव में जाकर रोजगार करेंगे और कार्य करने का मौका मिलेगा इसके लिए सरकार से थोड़ी लोन की जरूरत पड़ सकती है।

30-35 महिलाओं का बैच

इस प्रशिक्षण में इमामगंज डुमरिया मैगरा गुरारू गुरुआ परैया कोच जैसे प्रखंड से महिलाएं 30 दिन रह कर अपना प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। वही आरसिटी के द्वारा सभी को खाने और रहने की मुकम्मल व्यवस्था की गई है। महिला प्रशिक्षक सुमंती देवी ने बताया कि यहां सिलाई सीखने वाले महिला एवं बच्चियों काफी जुनून और उत्साह के साथ सीख रहे हैं। 

आरसीटी के डायरेक्टर सुनील कुमार ने कहा कि फिलहाल सिलाई सीखने वाली महिलाओं का 2 बैच को प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसमें प्रत्येक बैच में 35 बच्चियां शामिल है। उन्होंने कहा  सिलाई सीखने के बाद सरकार की मदद से अपने अपने गांव में जाकर महिलाओं को स्वरोजगार बनने का मौका मिलेगा वहीं दूसरी तरफ प्रोजेक्ट उन्नति,मनरेगा मजदूरों एवम बाराचट्टी के महिलाओं को बकरी पालन का दस दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है।


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