PATNA : आरजेडी वैसे तो बिहार की सत्ताधारी क्षेत्रीय पार्टी है और अब राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए बेताब देख रही है. तेजस्वी यादव अपनी टीम के साथ दो दिवसीय केरल के दौरे पर हैं. जहां उन्होंने केरल के कालीकट में एलजेडी का आरजेडी में विलय कराया. इस दौरान आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सह राज्यसभा सांसद मनोज झा, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अब्दुलबारी सिद्दिकी मौजूद रहे. तो लालू यादव भी वीडियो कॉन्फेंस के माध्यम से कार्यक्रम में जुड़े और भाषण भी दिया.
आरजेडी केरल में खुद के लिए बड़ा स्कोप देख रही है. वजह भी साफ है कि वहां की जातीय समीकरण आरजेडी के मुफीद है. तेजस्वी यादव ने केरल में दिए अपने बयान में बिहार में कराए गए जाति आधारित सर्वे का जिक्र भी किया और कहा कि केंद्र सरकार को पूरे देश भर में जाति आधारित गणना करवानी चाहिए. दरअसल इस खूबसूरत राज्य में ईसाईयों की आबादी 18.38 प्रतिशत और मुस्लिम की आबादी 26.56 प्रतिशत है. दोनों मिलकर करीब 45 फीसदी है. ये वोट बैंक कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ का माना जाता है. आरजेडी की बात करें, तो पार्टी की बिहार के मुस्लिम वोटबैंक में अच्छी पकड़ मानी जाती है. यहां M-Y समीकरण कई दशकों से खूब चल रहा है. और अब तेजस्वी यादव चाहते हैं कि केरल में भी मुस्लिम वोटबैंक में पार्टी की पकड़ हो.
वैसे तो केरल में यूडीएफ वाले गठबंधन में कुल 10 राजनीतिक दल है, जिसमें आरजेडी भी शामिल है. पर अब आरजेडी सिर्फ शामिल होने तक सीमित रहना नहीं चाहती है. तेजस्वी यादव चाहते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में आरजेडी यूडीएफ फ्रंट के तले लोकसभा चुनाव भी लड़े.
बीते 28 सितंबर को केरल से आए आरजेडी नेताओं ने पटना में लालू यादव और तेजस्वी यादव से 10 सर्कुलर रोड पर मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद न्यूज4नेशन से बातचीत करते हुए कहा था कि आरजेडी केरल में आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेगी भी. हम पूरी तरह से तैयार हैं. केरल के युवाओं में तेजस्वी यादव को लेकर खूब उत्साह है.
केरल में दो गठबंधन एलडीएफ और यूडीएफ का बोलबाला है. 1982 के बाद से राज्य की राजनीति इन्हीं दोनों गठबंधन के इर्द-गिर्द घूमती रहती है. बीते लोकसभा चुनाव यानी साल 2019 में कांग्रेस समर्थित गठबंधन यूडीएफ को कुल 20 सीट में से 19 सीट पर जीत मिली थी. बात करें यहां ईसाईयों की आबादी 18.38 प्रतिशत और मुस्लिम की आबादी 26.56 प्रतिशत है. इन दो अल्पसंख्यकों का रुझान ही केरल की सत्ता तय करता है. गरीबों मुस्लिम ज्यादातर इसी फ्रंट को चुनते हैं. वहीं केरल की पिछड़ी जातियों में लेफ्ट का काफी ज्यादा प्रभाव माना जाता है. केरल में हिंदू वोट करीब 55 फीसदी है, जिनके वोट एलडीएफ और यूडीएफ के बीच बंटे हुए हैं.
देवांशु प्रभात की रिपोर्ट