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राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच तल्खी बढ़ी, राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने एसीएस केके पाठक को किया तलब

राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच तल्खी बढ़ी, राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने एसीएस केके पाठक को किया तलब

पटना-  राजभवन ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक  को सोमवार 15 अप्रैल को सुबह 10 बजे बुलाया है. राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू ने पत्र लिख कर केके पाठक से राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के कक्ष में उपस्थित रहने का अनुरोध किया है. राज्यपाल के प्रधान सचिव ने केके पाठक को लिखे पत्र में कहा है कि नौ अप्रैल को राजभवन में कुलाधिपति की अध्यक्षता में सभी विश्वविद्यालयों के वीसी की बैठक बुलायी गयी थी. इसमें अपर मुख्य सचिव केके पाठक भी आमंत्रित किये गये थे. हालांकि उस बैठक में केके पाठक उपस्थित नहीं हुए. नौ अप्रैल की बैठक में पाठक की अनुपस्थिति पर राज्यपाल सह कुलाधिपति ने खेद जताया है और पूछा है कि किन परिस्थितियों में वह इस बैठक में शामिल नहीं हुए. इसी संदर्भ में पाठक को सोमवार को राजभवन में बुलाया गया है.

राज्यपाल के प्रधान सचिव ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को पत्र भेजकर कहा है कि राज्यपाल सह कुलाधिपति ने 9 अप्रैल को 12:30 बजे जो बैठक बुलाई थी उसमें आपके अनुपस्थित होने पर राज्यपाल ने खेद व्यक्त किया है. किन परिस्थितियों में बैठक में भाग नहीं लिए हैं इसकी जानकारी केके पाठक से मांगी है. राज्यपाल सह कुलाधिपति के प्रधान सचिव ने लेटर में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को 15 अप्रैल को राज्यपाल के चेंबर में 10:00 बजे उपस्थित होने का आग्रह किया गया है.

इससे पहले केके पाठक ने राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू को पत्र लिखते हुए राज्यपाल सचिवालय को कानून का पाठ पढ़ाया. उन्होंने एक तरह से नसीहत भरा पत्र लिखते हुए राज्यपाल को उनकी शक्तियों के बारे में भी बताया है. केके पाठक ने पत्र के माध्यम से पूछा है कि किस नियम के तहत कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय के कुलपतियों को शिक्षा विभाग की बुलाई बैठक में शामिल होने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. उन्होंने राज्यपाल सह कुलाधिपति को कहा है कि आपको धारा 9(7)(ii) शक्ति प्रदान करता है.इसके तहत कुलाधिपति को विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और प्रशासनिक हित में कोई भी निर्देश जारी करने का अधिकार देता है. केके पाठक ने पत्र में लिखा है कि यह धारा कुलपति को विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों के बीच विद्रोही व्यवहार को भड़काने और पूर्ण अराजकता की स्थिति पैदा करने की अनुमति नहीं देता है. उन्होंने कहा है कि इस शक्ति के तहत कुलाधिपति विश्वविद्यालय के अधिकारियों को विभाग की अवहेलना करने के लिए कह कर अपने अधिकार से आगे नहीं बढ़ सकते हैं.

पत्र में उन्होंने राज्यपाल सचिवालय से कहा है कि यह स्पष्ट किया जाए कि किस नियम के तहत कुलपति को किसी भी बैठक में भाग लेने के लिए कुलाधिपति की अनुमति लेनी होती है. इसके अलावा किस नियम के तहत कुलाधिपति ने ऐसी अनुमति देने से इनकार कर दिया है. राज्यपाल के प्रधान सचिव को लिखे पत्र में केके पाठक ने कहा है कि यदि निर्देश राज्यपाल की ओर से है तो मुझे यह बताने के अलावा कुछ नहीं कहना है कि कुलाधिपति की कुर्सी उच्च संवैधानिक स्थिति होती है. इसलिए उपयुक्त होगा कि आप मुख्यमंत्री या फिर मंत्री से संवाद करते. पत्र के अंत में सलाह दी कि आप विभाग के मामलों में हस्तक्षेप करने से बचें.

बता दें राजभवन और शिक्षा विभाग में विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है.  शिक्षा विभाग द्वारा अब तक 7 बार कुलपतियों की बैठक बुलाई गई है और राजभवन के आदेश पर एक भी बार विश्वविद्यालय के कुलपति शिक्षा विभाग की बैठक में शामिल नहीं हुए हैं. ऐसे में शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने राजभवन को नसीहत भरा पत्र जारी किया है और वह भी अपने लेटर पैड से जारी किया.


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