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भक्त रहषु के बुलावे पर कामख्या से थावे आईं थीं थावे की मां भवानी, ऐसे तोड़ा था घमंडी राजा का अहंकार, दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी

भक्त रहषु के बुलावे पर कामख्या से थावे आईं थीं थावे की मां भवानी, ऐसे तोड़ा था घमंडी राजा का अहंकार, दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी

गोपालगंज- जिले के विभिन्न प्रखंडों और जिला मुख्यालय में बने पूजा पंडालों में नवरात्रि के सातवें दिन मां का पट खुला. पट खुलते ही श्रद्धालुओं की भीड़ विभिन्न पूजा पंडालों और थावे मंदिर में मां के दर्शन को लेकर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. विभिन्न पूजा पंडाल समेत मां थावे वाली के दरबार  में माता के जय घोष के साथ पूरा वातावरण भक्ति मय हो उठा.

दरअसल शनिवार को नवरात्र की सप्तमी तिथि पर मां के कालरात्रि स्वरूप की आराधना में सभी लीन हो गए. मान्यता है कि इनके पूजन से शत्रुओं का नाश होता है और प्राणी सभी बाधाओं पर विजय पा लेते हैं. मां दुर्गा का पट खुलने के बाद भक्तों की भीड़ दर्शन करने के लिए उमड़ी गई. वही इधर शहर के स्टेशन रोड स्थित  राजा दल द्वारा गुजरात के सारंगपुर में स्थिति श्रुति मंदिर के स्वरूप पंडाल में स्थापित मां दुर्गा की  सातवे दिन पट खोला गया  और पूजा अर्चना की गई. जबकि घोष मोड़ स्थिति पटना के हनुमान मंदिर के स्वरूप पंडाल में स्थिति मां दुर्गा ने दूर दूर से आए भक्तो को दर्शन देकर उन्हें आशीर्वाद दिया.

मां  भवानी यहां मां अपने परम भक्त रहषु के बुलावे पर पहुंची थी. मां ने यहां रहषु के मस्तक को फाड़कर साक्षात दर्शन दिए थे. वैसे तो थावे के मंदिर में सालों भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है. शारदीय नवरात्र और चैत्र नवारात्र के समय मां के मंदिर की छटा और भी निराली हो जाती है. मां थावे भवानी के बारे में कहा जाता है कि ‘मां ने अपने प्रत्येक भक्त को वह दिया है जो वे पाने के योग्य हैं. मां को हमसे महंगी कोई तैयारी की जरूरत नहीं है.उन्हें कुछ सस्ती और आम चीजें चाहिए.माँ को भक्ति और पवित्रता भाती है. 

मां थावे भवानी को रहषु भवानी के नाम से क्यों जाना जाता है इसके पीछे एक भक्ति भाव से भरी कहानी है. पौराणिक कथाओ के अनुसार राजा मनन सिंह हथुआ के राजा थे. वह खुद को मां दुर्गा का सबसे बड़ा भक्त मानते थे. उन्हें इस बात का घमंड था कि वह मां दूर्गा के सबसे बड़े भक्त हैं. एक बार राजा मनन सिंह के राज्य में अकाल पड़ गया. लोग दाने-दाने को मोहताज होने लगे.

वहीं थावे में कमाख्या देवी मां का एक सच्चा भक्त रहषु रहता था. रहषु मां की कृपा से दिन में घास काटता और रात को उसी से अन्न निकल आता था. वह उस अन्न को लोगों में बांट देता था. इस चमत्कार का राजा को विश्वास नहीं हुआ. राजा ने रहषु को ढोंगी बताते हुए मां को बुलाने को कहा. रहषु ने कई बार राजा से प्रार्थना की कि अगर मां यहां आएंगी तो राज्य बर्बाद हो जाएगा.

घमंडी राजा नहीं माना. रहषु की प्रार्थना पर मां कोलकाता, पटना और आमी होते हुए वहां पहुंचीं और रहषु के मस्तक को विभाजित करते हुए साक्षात दर्शन दीं. जिसके बाद राजा के सभी भवन गिर गए और राजा को मोक्ष प्राप्त हो गया. मां ने जहां दर्शन दिया था, वहां एक भव्य मंदिर है. उसके कुछ ही दूरी पर रहषु जो मां का सबसे बड़ा भक्त था उसका भी मंदिर है. मान्यता है कि जो लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं वे रहषु भक्त के मंदिर में भी जरूर जाते हैं. तभी उनकी पूजा पूरी मानी जाती है.

मां के भक्त प्रसाद के रूप में नारियल, पेड़ा और चुनरी चढ़ाते हैं. थावे मां के दरबार के मुख्य पुजारी सुरेश तिवारी कहते हैं कि मां के आर्शीवाद को पाने के लिए कोई महंगी चीज की आवश्यकता नहीं. मां केवल मनुष्य की भक्ति और श्रद्धा देखती हैं.माता थावेवाली का मंदिर बिहार राज्य के गोपालगंज जिले के थावे में स्थित है. यह गोपालगंज-सीवान राष्ट्रीय राजमार्ग पर गोपालगंज जिले से महज 6 किलो मीटर दूरी पर स्थित है.

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