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एक-दो पुल गिरना सरकार के काम की पैमाना तय नहीं कर कर सकती, नीतीश कुमार ने बिहार में विकास का सेतु बनाया है जो काफी मजबूत है : मनोज शर्मा

एक-दो पुल गिरना सरकार के काम की पैमाना तय नहीं कर कर सकती,  नीतीश कुमार ने बिहार में विकास का सेतु बनाया है जो काफी मजबूत है : मनोज शर्मा

PATNA : पुराने पुलों के गिरने के बाद विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव द्वारा राजनीतिक करने पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक मनोज शर्मा ने बयान जारी करते हुए कहा कि जब युद्ध में सेना लड़ती है तो इस बात की गारंटी नहीं होती है कि विपक्ष के तरफ से उनकी सेना पर हमला नहीं होगा। ठीक उसी तरह से जब बिहार में विकास का कार्य तेजी से चल रहा है और लगातार निर्माण कार्य किया जा रहे हैं। उसमें एक दो त्रुटियां हो सकती हैं लेकिन, ऐसा कतई नहीं है कि उस विकास को नकारा जा सके। पिछले 18-19 सालों में एनडीए की सरकार ने जो विकास की लकीर बिहार में खींची है, वह रिकॉर्ड है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव यह आरोप इसलिए लगा रहे हैं क्योंकि अभी बिहार में एनडीए की सरकार है। बिल्कुल एक-दो सालों को छोड़कर पिछले 18-19 सालों में बिहार में एनडीए की ही सरकार रही है और एनडीए की सरकार ने इस रिकार्ड समय में सड़क, पुल-पुलियों के निर्माण में रिकॉर्ड स्थापित किया है। नीतीश की सरकार ने बिहार में  विकास का सेतु बनाया है जो काफी मजबूत है। 



बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि  तेजस्वी यादव जी, आपकी जानकारी के लिए यह बता दे कि सिर्फ मुख्यमंत्री सेतु निर्माण योजना जो 2005 से 2016 चली, तब तक 6 हजार से अधिक छोटे बड़े पुल-पुलियों का निर्माण किया जा चुका था और आगे लगभग एक हजार पुल-पुलियों का निर्माण चल रहा था। इसके अलावा बिहार में ग्रामीण टोला संपर्क निश्चय योजना, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और अन्य योजनाओं को मिलाकर 2005-06 से लेकर 2022 -23 तक करीब 1695 छोटे-बड़े पुलों का निर्माण किया गया। जो एक रिकार्ड है और उन निर्माणों से ही बिहार के विकास की रफ्तार बढ़ी है। 



पुलों के गिरने पर किया सरकार का बचाव

श्री शर्मा ने कहा कि अब तेजस्वी यादव यह बताएं की लगभग 9 हजार  पुल- पुलियों का निर्माण इन 18 -19 सालों में हुए और जो पुल गिरे हैं उनमें से ज्यादातर पुल काफी पुराने थे और जर्जर अवस्था में थे। ऐसी हालत में यदि एक-दो पुल गिर भी गए तो, सरकार उसके लिए सजग है और सक्षम है कि उसे तुरंत दुरुस्त कर लेगी। वहीं, दूसरी तरफ टेक्निकल पहलू को ध्यान में रखा जाए तो ज्यादातर पुल पुराने जर्जर तो थे ही साथ में सरकार के तरफ से नदियों की गाद को साफ भी किया जा रहा है। निर्माण पुराने थे, इसलिए कमजोर हुए। 



अब विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव इस बात को बताएं कि उनकी सरकार 2005 से पहले 15 सालों तक बिहार में थी उस कार्यकाल में कितने पुल-पुलियों का निर्माण हुआ? वो बताएं कि पुलों के  निर्माण में कितने की राशि खर्च की गई? कौन सा मेगा प्रोजेक्ट लालू यादव और राबड़ी देवी की सरकार में बने? हां, आपके माता पिता के शासनकाल में सड़क से ज्यादा अलकतरा घोटाले की चर्चा जरुर थी। पता नही, उस समय अलकतरा कौन पीता था? बिहार के लोगों को तो ये समझ में नही आता था कि सड़क है या गड्ढा है गड्ढा या सड़क। तेजस्वी यादव जी, जो परीक्षा देता है वही पास या फेल होता है और जो परीक्षा ही नहीं देता है उसे पास-फेल से क्या मतलब!



गिरते हैं शहसवार (घुड़सवार) ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ़्ल (छोटा बच्चा) क्या गिरे जो घुटनों के बल चले।




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