DESK : क्या किसी सांड की कीमत करोड़ों में हो सकती है। सुनने में अजीब लगे, लेकिन यह सही है। एक सांड की कीमत एक करोड़ रखी गई है। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में आयोजित एक कृषि मेले में साढ़े तीन साल के इस सांड को लाया गया है, जो फिलहाल लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया। यह मेला 11 नवंबर से 14 नवंबर तक आयोजित किया गया था। चार दिनों तक चले इस मेले को हाइब्रिड तरीके से आयोजित किया गया, जिसमें लोग मवेशियों के साथ शारीरिक तौर पर उपस्थिति होकर या वर्चुअल माध्यम से भी शामिल हो सकते थे।
हल्लीकर नस्ल के इस सांड की चर्चा का मुख्य कारण इसकी कीमत है। कृष्णा नाम के इस सांड की कीमत एक करोड़ का है, जिसके सीमन की अत्यधिक डिमांड रहती है। खासकर कृष्णा की बात की जाए तो यह देखने में तो आकर्षक है ही, इसकी 6.2 फीट की ऊंचाई, 8 फीट लंबाई और 800 किलो वजन के बारे में जानकर लोग गदगद हो जाते हैं। हल्लीकर नस्ल के मवेशी ए2 प्रोटीन वाले दूध के लिए जाने जाते हैं, लेकिन यह अब लुप्तप्राय होते जा रहे हैं। सांड मालिक बोरेगौड़ा का कहना है कि कृष्णा हल्लीकर नस्ल का सांड है और इसके सीमन की डिमांड सबसे अधिक होती है। सांड की दुर्लभ नस्ल को दक्षिण भारत में मातृ नस्ल के रूप में जाना जाता है।
सभी देशी नस्लों का मातृ नस्ल है हल्लीकर
बोरेगौड़ा का कहना है कि हल्लीकर सभी देशी नस्लों के लिए मातृ नस्ल है। हमने हल्लीकर नस्ल का एक वीर्य बैंक स्थापित किया है। जहां हम 1,000 रुपये में एक वीर्य की छड़ी बेचते हैं। उन्होंने आगे कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार, मांड्या जिले के मालवल्ली में किसी ने हल्लीकर नस्ल का वीर्य बैंक नहीं बनाया है। हमने इसे निजी तौर पर स्थापित किया है।
बोरेगौड़ा ने बताया कि महीने में हम 8 बार कृष्णा से वीर्य निकालते हैं। हम एक बार में 300 सीमन की छड़ें बनाते हैं। उन्होंने कहा कि हमने अन्य जिलों जैसे दावणगेरे, रामनगर, चिकमगलूर आदि में एक सीमन सेंटर बनाया है और हम बेंगलुरु के दशरहल्ली में भी एक सेंटर खोल रहे हैं। जो किसान हल्लीकर नस्ल का वीर्य खरीदना चाहते हैं, वे इसे पास के सेंटर्स पर खरीद सकते हैं। उन्होंने कहा कि कृष्णा का वजन करीब 1 टन है और उसके सीमन की मांग अधिक है। बताया जा रहा है कि इससे महीने में करीब 24 लाख रुपये की कमाई हो सकती है।
20 साल होती है उम्र
कृष्णा के मालिक बोरेगौड़ा ने कहा है कि, 'ठीक से देखभाल करने पर कृष्णा 20 साल और जीवित रह सकता है। हम चाहते हैं कि लोग इस मौके का फायदा ज्यादा हल्लीकर नस्ल पैदा करने के लिए उठाएं। हम इसका बहुत अच्छे से ख्याल रखते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा हल्लीकर नस्ल के मवेशी पैदा हो सकें, जो कि पौष्टिक दूध देंगे।